अँधेरी गली में स्ट्रीट लाइट की धीमी रौशनी में वह लड़की चलती हुई जा रही थी| टुक-टुक-टुक, उसकी सैंडल की हील मानो ताल में आवाज़ कर रही थी| उस सन्नाटे में बस उसी की आवाज़ सुनाई दे रही थी| हील से वह लड़की काफी ऊँची लग रही थी| उसने बहुत ही सुन्दर घुटनों तक लम्बी काली ड्रेस पहनी हुई थी और कंधे पर छोटा सा पर्स टाँगे हुई थी| लम्बी चेन के साथ वह चांदी के रंग का पर्स अँधेरे में चमचमा रहा था| देख कर ही लग रहा था कि वह किसी देर रात की स्पेशल पार्टी में जा रही है| वह बेहद सुन्दर तो थी ही, पर उसकी भरी हुई कमर और हिप उसकी चाल के साथ मटकती हुई, मनमोहक थी| आत्मविश्वास और संतुष्टि के साथ वह चली जा रही थी| आखिर संतोष हो भी क्यों न? एक स्त्री के लिए उसके स्तन भरे-पूरे थे, जिस पर उसकी पुश अप ब्रा और भी आकर्षक बना रही थी| कोई भी औरत उसके स्तनों को देख कर इर्ष्य करती और पुरुष तो बस उसके मोहपाश में यूँ ही फंस जाते|
“अबे जल्दी देखो”, एक लड़के ने उस सुन्दर औरत की ओर इशारा करते हुए कहा| उसकी बात सुनते ही उसके सारे दोस्त उस सैंडल की आवाज़ की ओर देखने लगे| वहां अधिक रौशनी न थी पर फिर भी उस औरत का चेहरा नज़र आ रहा था| वह बेहद खुबसूरत दिख रही थी और उसके लम्बे रेशमी बाल मानो उसके चेहरे को बुरी नज़र से बचाना चाहते थे| “वाह! अत्यंत सुन्दर”, दुसरे लड़के ने कहा| उस औरत की लाल लिपस्टिक उसके होंठो को और सेक्सी बना रहे थे| “यार! मेरा बस चलता तो मैं उस औरत को तुरंत चूम लेता|”, लगभग उस समूह के सभी लडको ने मन ही मन सोचा|
किसी भी अच्छे बॉयफ्रेंड की तरह रोहन भी शांति से अपनी गर्लफ्रेंड का रेस्टोरेंट में इंतज़ार कर रहा था| निशा ने उससे कहा था कि ऑफिस के बाद वह घर जाकर तैयार होकर ही आएगी| आखिर उनकी यह स्पेशल शाम थी| निशा रोहन के लिए सुन्दर दिखना चाहती थी| और रोहन भी निशा का इंतज़ार करने को तैयार था| वो जानता था कि निशा जब भी उससे मिलने आती किसी परी से कम नहीं लगती| वो मॉडर्न लड़की थी जिसका टेस्ट बेहद मॉडर्न था| उसके कपडे और उनसे मैच करती एक्सेसरी, वह जो भी पहनती, उस पर बेहद आकर्षक लगती| निशा हर बार कुछ नयी तरह की ड्रेस पहन कर आती थी| रोहन जानता था कि हर एक मिनट जो निशा तैयार होने में लगाती, वह और खुबसूरत होते जाती थी| फिर भी रोहन बेचैन तो था ही, आखिर वह देखना चाहता था कि निशा आज कैसी दिखेगी|
रोहन आस लगाये रेस्टोरेंट के दरवाज़े की ओर देखता रहा और तभी निशा, अपने निश्चित समय से ६ मिनट देर से आई| ६ मिनट, इस शहर के ट्रैफिक में तो कुछ भी नहीं है| निशा को देखते ही वह मंत्रमुग्ध होकर उसकी ओर देखते ही रह गया| जितनी खुबसूरत आज वह लग रही थी, वैसा उसने पहले कभी नहीं देखा था| उसे तो यकीन ही नहीं हो रहा था की वो और भी खुबसूरत लग सकती है| रोहन उसे देख कर अपनी ख़ुशी न छिपा सका| और तो और निशा को देख कर रेस्टोरेंट में बैठे सभी पुरशो की नज़र भी एक बार तो उसकी ओर घूम ही गयी|
निशा मुस्कुराते हुए अपनी ऊँची हील में बड़े ही नजाकत के साथ चलते हुए उसके पास पहुंची और बोली, “तुम्हे ज्यादा इंतज़ार तो नहीं कराया न?” निशा अपनी कुर्सी पर बैठ कर अपने कंधे से छोटी से काली रंग की पर्स उतार कर टेबल पर रखकर रोहन की ओर देखने लगी| “नहीं नहीं निशा बिलकुल नहीं| और सच कहू तो तुम्हारे लिए तो पूरी ज़िन्दगी इंतज़ार करने को तैयार हूँ मैं”, रोहन ने कहा| वह झूठ नहीं कह रहा था, निशा किसी मॉडल से कम नहीं थी| निशा तो ख़ुशी से लाल हो गयी| पर वो किसी छोटे शहर की सामान्य लड़कियों जैसी शर्मीली नहीं थी| वो जानती थी कि वह खुबसूरत है, और इस बात का उसे बेहद आत्मविश्वास भी था|
“निशा तुम आज सचमुच अप्रतिम लग रही हो! यह काली ड्रेस तो तुम पर बहुत ही अच्छी लग रही है| उस ड्रेस पर छोटे छोटे लाल रंग के फूल तो जैसे तुम्हारे स्टाइल के लिए ही बने है”, रोहन ने उत्साह के साथ कहा, “… और तुम्हारे कान के रिंग्स भी बहुत जंच रहे है तुम पर!” रोहन खुद को बेहद भाग्यशाली मानता था कि निशा जैसी लड़की उसके साथ डेट पर थी| कोई भी लड़का उसकी किस्मत से जल उठता|
“थैंक यू रोहन! पर आज तक कभी किसी ने ऐसी मेरी तारीफ़ नहीं की”, निशा बोली|
“मतलब कोई तुम्हारी खूबसूरती की तारीफ़ नहीं किया?”, रोहन को यकीं नहीं हुआ|
“तारीफ़? हाँ ज़रूर, मेरी सहेलियोँ ने की है| पर लड़के या मेरे पुराने बॉयफ्रेंड बस इतना ही कह पाते थे कि मैं सुन्दर लग रही हूँ| पर कोई तुम्हारी तरह तारीफ़ नहीं किया| लडको तो पता भी नहीं चलता कि आज मैंने अलग क्या पहना है| कान की रिंग तो छोडो ड्रेस में भी फर्क नहीं कर पाते वो| कई लड़के तो बिना कुछ बोले मुझे बस घूरते रह जाते है| पर तुम जैसे मेरी छोटी छोटी चीजें देखते हो, मुझे ख़ुशी मिलती है कि चलो कोई तो मेरी मेहनत को समझा!”, निशा ने कहा| वो सच कह रही थी क्योंकि लडको को तो समझ भी नहीं आता की एक लड़की को खुबसूरत दिखने के लिए क्या क्या नहीं करना पड़ता| किसी ड्रेस या साड़ी के साथ मैच करती हुई सैंडल, नेल पोलिश, चूड़ियां या आँखों के मेकअप के कलर का चयन आसान नहीं होता| लड़कियों का कपडे पहनना कोई आसान काम नहीं है और लडको को ज़रा भी अंदाजा नहीं है|
निशा की बात सुनकर रोहन हँस पड़ा, “निशा, तुम्हारी तारीफ़ में तो मैं कविता लिख सकता हूँ| बेहद आसान है आखिर तुम हुस्न की मल्लिका जो ठहरी!”
यह सुनकर निशा की आँखें चमक उठी| वह टेबल पर थोडा आगे झूकी और रोहन के करीब आ गयी| उसने अपने एक हाथ पर अपने चेहरे को रखते हुए नटखट अंदाज़ में बोली, “अच्छा जी, यह बात है| तो फिर रोहन जी, ज़रा हम भी तो सुने आप हमारी तारीफ़ में और क्या क्या कह सकते है?” निशा सचमुच जानना चाहती थी|
रोहन मुस्कुरा दिया और बोला, “तुम्हारी रेशमी जुल्फें आज तुमने जिस तरह सीधे और खुली हुई रखी है, उसे देख कर ही लगता है जैसे तुम्हारे बाल तुम्हारे ही चेहरे को चूमने को बेकरार है|”
“ओके पर कुछ ऐसा कहो कि मैं और खुबसूरत महसूस कर सकू खुद को”, निशा ने नया चैलेंज दे दिया रोहन को|
“निशा… तुम्हे अंदाजा नहीं है कि मैं कितना उतावला हूँ तुम्हारे बालो और चेहरे को छूने के लिए| तुम्हारी जुल्फों में अपनी उँगलियाँ फिराकर मैं तुम्हारे सुन्दर चेहरे को छूना चाहता हूँ| काश कि मैं तुम्हारे बालो की तरह होता तो दिन भर तुम्हारे गालों को चूमता रहता!”
निशा रोहन की बात सुनती रही|
“मुझे तो तुम्हारी ड्रेस से भी जलन है क्योंकि वो हर पल तुम्हे गले लगा सकती है और तुम्हारी मादक तन से लिपटी रहती है| और ये ड्रेस तो मानो चिपक कर तुम्हारी त्वचा बन चुकी है| तुम्हारे अंग अंग को उभार कर दिखाती है यह ड्रेस और मैं तुम्हे छूने के लिए और इंतज़ार नहीं कर पा रहा हूँ”
रोहन ने फिर निशा के करीब आकर उसके कानो में कहा,” तुम्हे शायद पता नहीं है कि तुम्हारे स्तनों के बीच का क्लीवेज मुझे कैसे मदहोश कर रहा है”
इसमें कोई दो राय नहीं थी कि निशा भाग्यशाली स्त्री थी जिसके स्तन भरे पूरे थे| और उसे देख कर कोई भी आदमी बस देखता ही रहा जाए| और जिस तरह से उसकी ड्रेस उसके स्तन से चिपकी हुई थी, उससे निशा किसी नशीली अप्सरा से कम नहीं लग रही थी|
दोनों प्रेमियों की शाम इसी तरह हँसते खेलते बाते करते, मुस्कुराते, खाते हुए, एक दुसरे की ओर देखते हुए निकल रही थी| दोनों के बीच प्यार, आकर्षण तो था ही पर साथ ही एक दुसरे के करीब आकार एक दुसरे से जुड़ जाने की आग भी तन मन में लगी हुई थी|
डिनर के बाद निशा टेबल से उठ खड़ी हुई और रोहन के करीब आकर उसके कानो में बोली, ” मेरे घर जाने के पहले क्यों न तुम अपने फोन से मेरी कुछ तस्वीरे ले लो?” रोहन को आईडिया उचित लगा| वह भी इस शाम की यादों को कैद करना चाहता था| उन दोनों ने रेस्टोरेंट में एक जगह ढूंढी जहाँ निशा रोहन के लिए कैमरा के आगे पोस कर सके| वो दोनों फोटो खींचते हुए एक एक पल का आनंद ले रहे थे| पर वहीँ दुसरे दम्पति उनसे मन ही मन जल रहे थे| आदमियों को खुस्बुरत निशा के साथ देख कर रोहन से जलन होती और औरतें उन दोनों को इस तरह हँसते खेलते देख कर सोचती की काश उनके साथी के साथ उनका रिश्ता भी ऐसा होता| अंत में रोहन और निशा एक दूसरे का हाथ थामे रेस्टोरेंट से बाहर निकल आये|
दोनों अब निशा के घर के बाहर खड़े थे| जैसे ही निशा ने घर का दरवाज़ा खोला, निशा ने तुरंत ही रोहन को दो सीट वाले सोफे पर धकेल दिया| आमतौर पर ऐसे सोफे को लव सीट कहते है| निशा जल्दी ही रोहन की गोद पर चढ़ गयी| वह अपने घुटनों पर खड़ी थी और उसके स्तन रोहन के चेहरे के करीब आ रहे थे| निशा रोहन की ओर शरारती नजरो से देखने लगी और रोहन बस एक टक निहारता रह गया| निशा ने अपना पर्स फेंक दिया और रोहन के चेहरे को अपने हाथो में पकड़ लिया| और बिना इंतज़ार किये, उसने रोहन को चूमना शुरू कर दिया|
होटल की वाइन ने पहले ही दोनों को मादक बना दिया था , और अब दोनों एक होने को तैयार थे| रोहन ने निशा को अपनी बांहों में पकड़ा और मदहोश होकर दोनों एक दुसरे को चूमने लगे| रोहन निशा की पीठ पर उसकी ब्रा को महसूस कर सकता था| जल्दी ही वह अपने हाथो से निशा के मुलायम स्तनों को पकड़ कर मसलने लगा| निशा ने अन्दर बेहद सुन्दर पारदर्शी लेस वाली ब्रा पहनी हुई थी| रोहन ने उस ब्रा को देखा और अपना सर दोनों स्तनों के बीच डाल दिया| वो मुलायम मखमली स्तन का स्पर्श दोनों को ही उतावला कर रहा था| पुश अप ब्रा में वैसे भी निशा के सुडौल स्तन निखर रहे थे, और रोहन उनसे अब और दूर नहीं रह सकता था|
“तुम जानते हो न कि तुम ब्रा उतार सकते हो?”, निशा ने चंचलता के साथ कहा|रोहन जानता था पर वो इस बेहद खुबसूरत औरत का साथ उसके सौंदर्य को अच्छे से निहारते हुए बिताना चाहता था| वो मानो इस फूल की एक एक पंखुड़ी को धीरे धीरे छूकर महसूस करना चाहता था| पर निशा जो चाहती थी, उसे लेकर ही रहती| उसका रुकने का मन नहीं था| वो मॉडर्न लड़की थी जिसे पता था कि वो क्या चाहती है| और उसे वह हक़ से लेती| उसने खुद ही अपनी ब्रा का हुक खोला, कंधे से ब्रा का स्ट्राप नीचे उतारा और अपने ड्रेस के सामने से स्तनों पर हाथ फेरती हुई अपनी ब्रा को निकालने लगी| ऐसा करते हुए उसके स्तन झूमने लगे जैसे वो आज़ाद हो गए हो| रोहन मुस्कुरा दिया|
निशा ने फिर रोहन का हाथ पकड़ा और उसे बेडरूम की ओर ले जाने लगी, “अब और समय बर्बाद नहीं करेंगे, मैं तैयार हूँ|”, निशा ने कहा| दोनों ने बेडरूम में जाकर एक दुसरे को ऐसा प्यार किया जो सिर्फ किसी नए प्यार में पड़े नवदंपत्ति में दीखता है|
इससे ज्यादा क्या रोमाटिक हो सकता है कि एक आदमी सुबह उठे और उसकी बांहों में वह स्त्री हो जिसके साथ उसने प्यार भरी रात बितायी हो? रोहन से निशा को जोर से अपनी बाहों में जकड कर एक गुड मोर्निंग किस दिया| निशा के रात को उतारे हुए कपडे रोहन की बगल में थे| उसने एक बार उस ड्रेस को छुआ जैसे वो एक बार फिर उस ड्रेस की सेक्सिनेस अनुभव करना चाहता हो| निशा ने रोहन को किस किया और उठ कर बाथरूम की ओर जाने लगी| अपने तन पर चादर लपेटे हुए निशा बेहद सेक्सी लग रही थी| उसने बड़ी ही नजाकत से अपने स्तनों को उस चादर से ढंका हुआ था| रोहन की ओर देख कर मुस्कुराते हुए वह नहाने चल दी|
कुछ ही देर में निशा नहाकर तैयार हो चुकी थी और रोहन भी कपडे पहन कर अपने घर जाने को तैयार था|
“रोहन, पता नहीं कैसे कहू पर कल की शाम के लिए थैंक यू| शायद तुम्हे भी कल अच्छा लगा हो|”, निशा ने रोहन के करीब आते हुए कहा| “निशा, इसमें कोई डाउट है क्या? हाँ मुझे भी कल बहुत अच्छा लगा, भूल नहीं सकूंगा कल की शाम|”, रोहन ने जवाब दिया|
“ठीक है| पर अब यह बताओ की इस ड्रेस में कितनी खुबसूरत लग रही हूँ मैं?”, निशा ने अपनी ड्रेस दिखाते हुए रोहन से पूछा| निशा ने एक काली रंग की नेट वाली टॉप पहनी हुई थी और एक लम्बी सी स्कर्ट| उसकी टॉप कुछ ऐसी थी कि निशा की कमर थोड़ी सी दिख रही थी| “हम्म मैं तो कहूँगा की ऑफिस जाने के लिए थोड़ी ज्यादा सेक्सी है!”, रोहन ने कहा|
“ओ कम ऑन रोहन! थोडा बहुत स्किन दिखना तो चलता है| तुम्हे नहीं लगता?”, निशा ने पूछा| “ज़रूर निशा| मैं तो चाहूँगा कि मेरे यहाँ काम करने वाली सभी औरतें तुम्हारी तरह कपडे पहने”, रोहन ने कहा|
“पर तुम जानती हो? कोई भी औरत कुछ भी पहन ले, तुम्हारे जैसी खुबसूरत नहीं लग सकती|”, रोहन जानता था कि निशा से क्या कहना है| निशा मुस्कुरा दी और एक बार फिर पास आकार रोहन को गले लगाकर छोटे छोटे किस उसके गालों पर देने लगी|
“वैसे तुम्हे याद है या नहीं कि मैं एक हफ्ते के लिए काम के सिलसिले में नयी दिल्ली जा रही हूँ|”, निशा ने कहा|
“नहीं!!! तुम्हारे बगैर मैं पूरा हफ्ता कैसे बिताऊँगा| यह ठीक नहीं है निशा| मैं तुम्हे दोबारा देखने के लिए कितना बेचैन हो जाऊँगा|”
“आहा जी| इतना ड्रामा न करो! तुम्हारे पास मुझे याद करने को कुछ तो रहेगा”, निशा बोली|
“हाँ हाँ, यादें रहेगी तुम्हारी| पर यादों से कहाँ काम चलता है?”, रोहन ने शिकायत करते हुए कहा|
निशा हँस दी| “मैं यादों की बात नहीं कर रही हूँ मी. रोहन! मैं मेरे कपड़ो की बात कर रही हूँ!”, निशा बोली| “पूरा एक बैग भरकर कपडे है धोने के लिए| मुझे पता नहीं तुमसे कैसे कहूँ| तुमने पहले भी न जाने कितने बार मेरे लिए कपडे धोये है|”
“इतनी फ़िक्र न करो निशा| तुम जानती हो मेरे घर में वाशिंग मशीन है और कपड़ो को प्रेस करने वाला मेरी बिल्डिंग के सामने ही है| मैं ख़ुशी से कपडे धो लूँगा तुम्हारे|”
“तुम्हे पक्का यकीन है कि तुम्हे कोई परेशानी नहीं होगी?”
“पक्का! बस तुम उस बैग में अपनी २-४ ब्रा पैंटी भी डाल देना!”, रोहन ने छेड़ते हुए कहा|
निशा हँस दी और बोली, “हाँ मैंने पहले ही डाल रखी है पर मेरे बगैर उनके साथ खेलना नहीं तुम! समझे?”
रोहन निशा के कपडे का बैग लेकर उसकी बिल्डिंग से बाहर आ गया| उसने उस बैग को अपनी कार की पैसेंजर सिट पर रखा| उसने उस बैग की ओर देखा और उसमे से निशा की ड्रेस निकाला जो निशा ने कल रात पहनी थी| उसने उस ड्रेस को अपने हाथ में पकड़ा और मुस्कुराने लगा| फिर अपने चेहरे से उस ड्रेस को छूते हुए उसने खुद से कहा, “रोहन! आज रात यह ड्रेस तुम्हारी होगी| समय आ गया है रोहिणी बनने का!” उस ड्रेस को पहनने के बारे में सोच कर ही रोहन के रोंगटे खड़े हो रहे थे| वो बस इंतज़ार कर रहा था कि किसी तरह उसका ऑफिस ख़तम हो और वह घर जाकर एक सुन्दर औरत बन सके|
शाम हो गयी थी और रोहन घर आ चूका था| उसने लाल फूल के प्रिंट वाली काली ड्रेस को अपने बिस्तर पर बिछा दिया| आज रात वह यही ड्रेस पहनने वाला था| उसने उस ड्रेस से मैच करती हुई सैंडल, कान की बालियाँ, चूड़ियां भी निकाली| अपने मेकअप बॉक्स में वह देख रहा था कि आज रात आँखों के मेकअप के लिए कौनसे रंग का उपयोग करेगा| उसने अपना फ़ोन निकाला और निशा की कल रात की तस्वीरे देखने लगा ताकि पता चल सके कि निशा ने कौनसा मेकअप उपयोग किया था| उसे ख़ुशी थी कि निशा उसके जीवन में थी| निशा के साथ रहते उसके लिए बड़ा आसान हो जाता था कि कैसा मेकअप करना चाहिए| वो ऐसे पलो का बेसब्री से इंतज़ार करता था जब निशा उसे अपने कपडे देती थी धोने के लिए| किसी दूसरी औरत ने वह कपडे पहले पहने है यह विचार ही उसे रोमांचित कर देता| वो भाग्यशाली था कि उसका कद ज्यादा ऊँचा न था| निशा के कपडे उसे बिलकुल फिट आते थे| अब समय आ गया था कि वह रोहिणी बनना शुरू कर दे| उसने फाउंडेशन लगा कर मेकअप करना शुरू किया|
रोहिणी अब तैयार हो चुकी थी और बस इंतज़ार कर रही थी कि थोडा और अँधेरा हो जाए| अँधेरा होने पर वह निश्चिन्त होकर एक क्लब जा सकती थी जहाँ LGBT के लोग आमंत्रित थे| उस जगह वहां बेफिक्र होकर बिना डर के रोहिणी बन कर रह सकती थी| बस उसे ९ बजने का इंतज़ार करना होता था जब वो बिना डर के अपनी कार तक जा सके|
९ बज गए थे| रोहिणी अपनी बिल्डिंग से सँभलते हुए नीचे आई| उसके दिल की धड़कने बेहद बढ़ गयी थी| वह देख सकती थी कि सड़क की दूसरी ओर कुछ लड़के खड़े है| फिर भी दिल को समझाने लगी कि वो लड़के उसकी कार से बहुत दूर खड़े है| गली में स्ट्रीट लाइट की हलकी सी रौशनी में वह चलने लगी| वह नहीं चाहती थी कि कोई उसकी ओर देखे| पर उसकी सैंडल की हील की ठुक ठुक ठुक आवाज़ उस सन्नाटे को चीर रही थी| उसकी घुटनों तक लम्बी काली ड्रेस में वह बेहद ही मोहक लग रही थी| और उसका छोटा सा चांदी के रंग का पर्स चमचमा रहा था| कोई भी उसे देखते ही जान जाता कि वह नाईट पार्टी में जा रही है| वो सचमुच ही आकर्षक औरत थी और उसकी मटकती हुई चाल तो किसी का भी ध्यान खिंच लेती|
“अबे जल्दी देखो”, एक लड़के ने रोहिणी की ओर इशारा करते हुआ कहा| सभी लड़के उसकी ओर देखने लगे| रोहिणी ने अपने खुले लम्बे बालो को उसके चेहरे के सामने आ जाने दिया ताकि उसका चेहरा ढक सके| वो नहीं चाहती थी कि कोई उसे पहचान ले| रोमांच और डर दोनों साथ उसके मन में थे| “वाह यार, क्या सुन्दर औरत है!”, एक लड़के ने कहा| “पहले कभी यहाँ देखा नहीं इसे”, दुसरे ने कहा| हलकी रौशनी में रोहिणी की लाल लिपस्टिक उसके होंठो को बेहद सेक्सी बना रही थी| “मेरा बस चलता तो मैं उस औरत को तुरंत चूम लेता”, एक लड़के ने कहा| वह शायद यह बात मन ही मन कहना चाहता था पर उसकी आवाज़ रोहिणी की कानो पे पड़ गयी| चाहे जो भी यह रोहिणी की खूबसूरती पर कमेंट था| रोहिणी तो ख़ुशी से फूली न समायी| वह झट से अपनी कार में बैठ कर नाईट क्लब के लिए निकल पड़ी|
क्लब में वह बार काउंटर के पास बैठी हुई थी| उसे आये हुए करीब ५ मिनट हुए थे| लड़की बनकर बाहर निकलना और शहर में घुमने अच्छे अच्छो के पसीने छुड़ा देता है| पर अब वो आराम से क्लब में बैठ सकती थी| उसने अपने लिए एक कॉकटेल आर्डर किया| इस दौरान क्लब के दुसरे कोने में एक औरत रोहिणी को एक टक देख रही थी| शायद उसका रोहिणी में इंटरेस्ट था|
रोहिणी सोच रही थी कि कैसे उसे रंग बिरंगे कॉकटेल पसंद है पर रोहन बन कर वह कभी कॉकटेल आर्डर नहीं करती क्योंकि वह मर्दानी ड्रिंक नहीं मानी जाती| पर रोहिणी बन कर वह हमेशा कॉकटेल आर्डर करती थी|
“यह रही आपकी ड्रिंक मैडम| एन्जॉय योर ड्रिंक!”, बारटेंडर ने ड्रिंक देते हुए रोहिणी से कहा|
“मैडम” शब्द सुनकर तो जैसे रोहिणी के कानो में शहद घुल गया| कोई भी क्रोसड्रेसर जानता है कि एक औरत के रूप में स्वीकार होने से बेहतर कोई ख़ुशी नहीं हो सकती| इसी ख़ुशी में रोहिणी ने मुस्कुरा कर बारटेंडर को १०० रुपये और टिप दी| अपनी पर्स में बचे हुए पैसे रख कर रोहिणी पर्स बंद करने लगी| इस दौरान उसके खुले बाल उसके चेहरे के सामने आ गए| अपने बालो को पीछे करना हर क्रॉसड्रेसर को अच्छा लगता है| रोहिणी को भी लगा जब वो अपने हाथो से अपने बाल पीछे करने लगी| पर जैसे ही उसने यह किया, उसके सामने एक जवान हसीन लड़की उसके सामने खड़ी थी| यह वोही थी जो रोहिणी को छुप छुप कर देख रही थी| रोहिणी को मानो डर के मारे सांप सूंघ गया| वह बस उस औरत की ओर देखती रह गयी!
“हेल्लो ब्यूटीफुल, कभी मेरे साथ डेट पर चलना चाहोगी?”, उस औरत ने बेझिझक होकर कहा|
रोहिणी कुछ बोल न सकी| दूसरी औरत रोहिणी की ओर मुस्कुरा कर देखती रही| फिर वो रोहिणी के करीब आकर उसके कान के करीब आ गयी| “तुम इस ड्रेस में बेहद खुबसूरत लग रही हो| इतनी खुबसूरत तो मैं भी कभी नहीं लगी इसे पहनकर”, निशा ने कहा|
रोहिणी निशा की ओर देख कर मुस्कुरा दी| रोहिणी के अन्दर छुपा रोहन यह सोच रहा था कि आखिर उसे निशा से प्यार है या उसकी खुबसूरत ड्रेसेज से| इसका जवाब उसके पास न था|
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nice story heat touching
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Mast
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