पाठिका की कलम से
सपना तो हम सभी का वही है, एक ऐसा जीवन जीने का जिसमे हमें हमारे असली रूप और हमारी दिल की बातों को किसी से छिपाना न पड़े। और इस सपने को पूरा करने में यदि भाभी का साथ हो तो इससे अच्छा क्या हो सकता है? देवर भाभी से ननद भाभी बनने का ये सफर, बस ऐसा ही एक सपना साकार करने वाली ये कहानी है।
देवर भाभी के रिश्ते पर आधारित नॉन-सेक्शुअल साफ सुथरी सी इस कहानी को पढ़कर बताइए कैसी लगी!
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कहानी
आज मैं एक कोशिश करती हूं अपनी कहानी के द्वारा अपनी पुरानी यादें आज लोगों से शेयर करूं। लेकिन कहानी को रोचक बनाने केलिए मैंने इसमें फिक्शन का भी प्रयोग किया है। पूरी कहानी कल्पना और वास्तविकता का मिश्रण है। – लेखिका
आज वो बातें याद आती है तो तन बदन में आग लग जाती है एक करंट सा दौड़ जाता है।
मैं जब पंद्रह साल की थी पहली बार औरत बनी थी उस दिन घर में कोई नहीं था मुझे छोड़ कर सब शादी में बाहर गए थे। मैं बता दूं कि मैं बचपन से ही पतली दुबली थी मेरे हाथ पांव लड़कियों जैसे ही थे। उस दिन न जाने क्या हुआ कि मैं एक लड़की की तरह ही अपने आप को सोचने लगी। अचानक न जाने क्या हुआ कि मैंने अपनी मां की साड़ी को अपने शरीर पर लपेटना शुरू कर दिया, पहनना तो आता नहीं था जितना लपेटती उतना ही साड़ी में फंसती जा रही थी अन्त में थक कर हार मान ली। लेकिन औरतौ वाले शौक अब शुरू होने वाले थे।
दिन गुजरने लगे और मेरे अंदर की लड़की मुझे पर हावी होने लगी। चुपके चुपके मैंने अपनी मां की ब्रा और पैंटी चूड़ियां भी पहनना शुरू कर दिया। लेकिन सब कमरे के अंदर तक सीमित था। हाथ पांव के नाखूनों को भी संवारने का शौक कब शुरू हुआ मुझे पता नहीं चला। अभी तक पकड़ी नहीं गई मैं।
जब मैं बीस बरस की हुई तब घर में मेरी भाभी आई। भाभी इतनी खूबसूरत थी कि कह नहीं सकती। एकदम गठा हुआ शरीर कमानीदार भौंह लम्बी लम्बी उंगलियां जिन पर लम्बे लम्बे नाखून, कुल मिलाकर मेरी रोल मॉडल थी वह। एक दिन वो अपने नेलपॉलिश लगा रहीं थी मैं उनके पास बैठी थी। मेरा ध्यान उनपर न होकर उनके नाखूनों पर था।
वो बोली “क्या देख रहे हो?”
मैं हड़बड़ा कर “कुछ नहीं।”
वो मुस्कुरा कर बोली “कोई बात तो है देवरजी”
मैं क्या कहती कि मैं भी नेलपॉलिश लगाना चाहती थी पर बात मन में ही रह गई।
मैं चुपके चुपके उनको सजते संवरते देखती मन में एक कसक बनी रहती थी काश! मैं भी इसी तरह सजू संवरू।
मेरी डिग्री भी पूरी हो चुकी थी अब मैं नौकरी के लिए कोशिश कर रही थी। औरत बनने का सपना मेरे ऊपर हावी हो होता जा रहा था। चूंकि परिवार में मम्मी भैया और भाभी ही थे पापा ने मम्मी को डाइवोर्स दे दिया था तब मैं बहुत छोटी थी। लेकिन मम्मी ने हम भाइयों की परवरिश में कोई कमी नहीं रखी। मैं अब इतना एडिक्ट हो चुकी थी कि रात को सोते समय अपने कमरे में भाभी के कपड़े पहन कर सोती। एक दिन की बात है मम्मी को एक महीने के लिए अपने मायके जाना था क्यूंकि मामी के लड़का हुआ था। और उसी दिन भैया को भी बिजनेस के लिए बाहर जाना था मै समझ गई की मेरी औरत बनने की तमन्ना पूरी होने वाली है।
रात का समय था भाभी काम करके अपने कमरे में सोने चली गई थी। मैंने चुपचाप भाभी का सूट उनकी चूड़ियां और नेलपॉलिश और मेकअप बॉक्स जो पहले ही अपने कमरे में छुपा रखा था पहनना शुरू किया पहले मैंने उनकी ब्रा पहनी फिर पैंटी जो मेरी जांघो पर फिट आ गई। मेरा शरीर बिल्कुल चिकना था और मैंने हैयर रीमूवर से अपने चेहरे को एकदम लड़की जैसा चिकना कर लिया था। मेरा गुप्तांग पैंटी मे छिप गया था। अब मैंने अब मेकअप शुरू किया पहले फाउंडेशन फिर क्रीम वगैरह, आईलाइनर आइब्रो पहले से बारीक थी ये नेचुरल थी फिर गहरी लाल लिपस्टिक लगाई। अब बारी थी अपने लम्बे लम्बे नाखूनों को पैंट करने की। लिपस्टिक से मैच करती नेलपॉलिश। वाह! कोई मेरे हाथो को पैरों देखकर कह नहीं सकता कि ये किसी लड़के के हाथ पैर हैं। अब बारी थी चूड़ियों की, बिना चूड़ियों के औरत का क्या वजूद होता है। चूड़ियां ही मुझे एक औरत बना सकती थी।
अब मै एक लड़के की तरह लिखूंगी। फिर एक विग लगाई जो मैंने ऑनलाइन मंगाई थी। खैर तैयार होकर मैंने अपने सर पर एक घरेलू लड़की की तरह दुपट्टा डाला। अब मैं उठकर ड्रेसिंग टेबल के पास गया। जो मैंने अपने आप कि शीशे में देखा ना जाने क्यूं मुझे अपने आप से प्यार होने लगा। मै पैंटी में तनाव में महसूस कर रहा था। सारे बदन में आग लग रही थी। प्यास लग रही थी, मैं धीरे धीरे फ्रिज के पास पंहुचा, मेरी भाभी के कपड़े मेरे बदन को इतना सुकून दे रहे थे कि कह नहीं सकती। तभी वो हुआ जो नहीं होना था पानी की बॉटल मेरे हाथ से गिर गई और हड़बड़ी में मेरा हाथ फ्रिज से टकराया पूरे घर में मेरी चूड़ियों की आवाज़ गूंज गई। रात की खामोशी में एक चम्मच कि भी आवाज़ काफी होती है ये तो मेरी चूड़ियों की आवाज़ थी।
तभी भाभी के कमरे का दवाज़ा खुला, “कौन है वहां?” वो बोली।
“भाभी मैं….” मैंने हड़बड़ाकर कहा।
उन्होंने लाइट ऑन की।
“अरे! देवरजी, आप ऐसे?”
“हां भाभी मैं” मैंने सर झुकाकर कहा।
“ये क्या पहन रखा है आपने” इतना कहकर वो मुंह दबाकर हंसने लगी।
मैं सर झुकाकर खड़ा था, मेरी आंखो में आंसू थे। अब भाभी चुपचाप मेरे पास आई बोली।
“चलो मेरे कमरे में। इतना कहकर उन्होने मेरा हाथ पकड़ा और आपने कमरे में ले गई।
“अब बताओ, क्या बात है, तुम लड़की क्यूं बने हो?”
मैं क्या कहता, चुपचाप सर झुकाए बैठा रहा। भाभी उठीं और मेरे पास आकर मेरा दुपट्टा सर से हटाया, जो उनकी निगाह मेरे चेहरे पर पड़ी, “माई गॉड! मेरे घर में इतनी सुंदर ननद देवर के रूप में रह रही थी और मुझे पता ही नहीं था। बड़ी नाइंसाफी है ये।”
मैं क्या करता? भाभी से निगाह नहीं मिला पा रहा था। मेरे हाथ कांप रहे थे, हाथों की चूड़ियां खनखना रही थी।
“भाभी मुझे माफ़ कर दो” बस इतना ही मुंह से निकला।
“पागल हो गई है क्या? माफी क्यूं? अरे इतनी प्यारी है कि कोई भी ले जायेगा तुझे ब्याह कर मेरी बन्नो” भाभी के शब्दों में ढेर सारा प्यार था।
“अच्छा बता कब से ये कर रही है?” उन्होंने मेरी चूड़ियों से खेलते हुए कहा।
“जी लगभग पांच साल से” मैंने कांपती आवाज में बताया।
“मम्मी को पता है क्या?” उन्होंने पूछा।
“नहीं”
“हम्म, ठीक है मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं, पर मेरी कुछ शर्तें है” उन्होंने मुस्कराते हुए कहा।
“वो क्या हैं?” मैं घबरा गया।
“डोंट वरी माई डियर क्यूट ननद।” वो फिर मेरी चूड़ियों से खेलते हुए बोली।
“वैसे एक बात कहूं, तुम्हारे हाथों में ये चूड़ियां ज्यादा सूट करती है। गोरा बदन, लम्बे लम्बे नाखूनों की खूबसूरती और डार्क रेड नेलपेंट, चिकना बदन, लड़कियों जैसा खूबसूरत चेहरा, मैं तो कहती हूं छोड़ो मर्द बनना, साड़ी, चूड़ी पहनो मेकअप करना शुरू कर दो।”
मैं क्या करता चुपचाप सुनता रहा, लेकिन अच्छा भी लग रहा था। यही मैं भी सुनना चाहता था।
“हां एक बात और अब तुम मेरे लिए मर्द नहीं बल्कि मेरी प्यारी ननद हो इसलिए अपने आपको लड़की मानना शुरू कर दो ,आती हूं, कहती हूं, सुनती हूं, ऐसे बोला करो।”
“ठीक भाभी ऐसे ही बोलूगी आज से” मैंने भी खुश होकर कहा।
“चलो फटाफट कपड़े बदलो मेरा सूट उतारकर मेरी मैक्सी पहन लो, मेरा तुम्हारा साइज एक है बस मैं तुम्हारी तरह इतनी स्लिम नहीं हूं, तुम्हारा शरीर मुझसे भी कोमल है।” भाभी ने स्माइल करते हुए मुझे हल्की सी डांट लगाई, लेकिन उसमें भी ढेर सारा प्यार था।
“वैसे मैं एक बात सोच रही हूं,” उन्होंने अपनी लम्बी नेलपेंट वाली उंगली अपने चेहरे पर रखते हुए कहा।
“क्या भाभी?” मैंने अपनी चूड़ियों से खेलते हुए पूछ।
“यही कि मम्मी को बता दूँ” उनके चेहरे पर शरारत थी।
“क्या?” मैं घबरा गई।
“यही कि…..” भाभी शरारत के मूड में थी।
“बोलो न प्लीज भाभी” मेरा तो खून सूख गया।
दिल धड़क रहा था, ना जाने क्या बोलेंगी हे भगवान! मैं क्या करू? लेकिन जैसे ही मेरा ध्यान मेरी कलाई पर मेरी चूड़ियों पर जाता वो मुझसे कहती “डोंट वरी डियर जो होगा देखा जायेगा।”
“मैं मम्मी से कह दूंगी कि आप मेरे प्यारे देवर को बाज़ार के जाकर इसके नाक कान पियर्स करवा दो जिससे मैं इसे झुमके और नथ पहना सकूँ। बाकी मेरे सूट और साड़ी तो इसके लिए पर्याप्त है। बस ब्लाउज़ की फिटिंग और करवानी है इसके लिए, क्यूं ठीक रहेगा मेरी लाडो?” इतना कह कर उन्होंने मुझे आंख मारी।
“भाभी! आप भी ना.. जाओ नहीं बनना मुझे औरत” मैंने रूठते हुए कहा और बेड के कोने में बैठ गई।
“क्या हुआ रूठ गई मेरी बन्नो?”
“भाभी आप मेरी मजबूरी क्यूं नहीं समझ रही हो? ये मेरा शौक है, मेरी एक फैंटेसी है जिसे मैं चाह कर छोड़ नहीं सकती, मम्मी को बता दिया तो वो मेरा क्या हाल करेगी और भैया ना जाने मेरा क्या हाल करेगें, जान से मार देंगे।”
मेरी आंखों से आंसू निकल आए। मैं दोनों हाथों को मुंह पर रख कर रोने लगी।
भाभी सन्न रह गई उनको उम्मीद नहीं थी कि मैं इतनी इमोशनल हो जाऊंगी। उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर अपने सीने से लगा लिया फिर मेरे सिर पर हाथ फेरते हुए बोली। “पागल लड़की मेरे मज़ाक को इतना बुरा मान गई,अरे मैं तेरी भाभी हूं कोई दुश्मन नहीं रो मत। मैं किसी से नहीं कहूंगी।” इतना कह कर भाभी ने मुझे गले से लगा लिया, मेरे नकली बूब्स भाभी के बूब्स से रगड़ रहे थे मेरे शरीर के तार झनझना उठे हालांकि ये फीलिंग सेक्स नहीं थी एक आकर्षण था एक मादा शरीर के साथ अपने आप को औरत जैसा महसूस करने का समय था। भाभी की रेशमी नाइटी और मेरी चूड़ियां दोनों मेरे अंदर आग भर रहे थे। हम दोनों की नाइटी और चूड़ियां देखकर कोई भी कह सकता था कि हम दोनों औरतें हैं। उस रात को मैं भाभी के बेड पर सो गई हम दोनों लिपटकर सोते रहे लेकिन बिना किसी सेक्स की फीलिंग के। मेरे अंग में जरा भी तनाव नहीं था। उस समय भाभी मेरी सगी मां जैसी लगी मुझे।
सुबह:७बजे
“ओ पागल लड़की क्या उठना नहीं है?” भाभी मुझे हिला रही थी।
“उन्ह! सोने दो भाभी!” मैंने चादर खींच के अपने मुंह पर दा ली। अभी तक एसी चल रहा था कमरे में ठंडक थी। खैर मैं उठी और कमरे के अटैच बाथरूम में घुस गई जो मैंने शीशे मै देखा वहां पर एक बेहद सुंदर प्यारी सी लड़की दिखाई दी। मरून नाइटी में थी वो, दोनों हाथ कोहनी तक चूड़ियों से भरे थे, बिंदी लिपस्टिक नेलपॉलिश सब मैचिंग रेड कलर में थी। ना जाने क्यूं मुझे उस लड़की से प्यार हो गया, मेरे हाथ मेरे सीने पर निपल को सहलाने लगे। मेरी निपिल्स इतने सेंसटिव हो चुके थे कि अब कंट्रोल करना मुश्किल हो रहा था। खैर जैसे तैसे हाथों से अपने को संतुष्ट करने लगी,बाथरूम मेरी चूड़ियों की खनक से गूंज रहा था ये आवाजे एक संगीत सा सुना रही थी।
“क्या बात है बाहर आना है या चाय बाथरूम में ही ले आऊ” बाहर भाभी आवाज़ दे रही थी।
“आई भाभी” मैंने जल्दी से पैंटी ठीक की और बाहर निकाल आयी।
मेरी हालत देख कर भाभी मुस्करा रही थी।
“क्या बात है लाडो कंट्रोल नहीं हो रहा क्या?” भाभी चिढाने लगी।
“भाभी आप भी ना, कुछ भी” मैंने शरमाते हुए कहा।
मैंने चाय की प्याली उठाई मेरी चूड़ियां खनखना उठी, मैं चाय पी रही थी लेकिन भाभी की निगाह मुझ पर ही थी।वो चुपचाप चाय पीते हुए मेरी स्क्रुटनी कर रही थी।
“चलो अब ननद बनी हो तो घर का काम भी करो मेरे साथ, फालतू बैठना लड़की को शोभा नहीं देता। नहाने जाना, मैंने बाथरूम में तुम्हारे कपड़े रख दिए है और हां टॉवेल हमारी तरह लपेट कर आना तुम। अब हमारी बिरादरी की मेंबर बन गई हो ठीक है? मर्द जैसा फील मत करना। अब तुम लड़की हो समझी” भाभी ने लंबा भाषण दे डाला।
नहाने के बाद में भाभी के कमरे में उनका इंतजार कर रही थी तब भाभी भी नहाकर आ गई। मुझें देखकर बोली “आज से एक महीने तक तुम ये चूड़ियां और पाजेब नहीं उतरोगी, क्यूं की मम्मी और तुम्हारे भैया दोनों एक महीने बाद आयेगे, हां अब बताओ क्या पहनोगी , साड़ी या सूट या लहंगा?”
“साड़ी” मेरे मुंह से निकाल गया।
“ओहो! मैडम की चॉइस बड़ी बड़िया है, ठीक है, चलो तुम्हारे लिए ब्लाउज़ देखते हैं” इतना कह कर भाभी अपनी अलमारी से ब्लाउज़ निकाल के मुझे पकड़ा दिया।
“साड़ी बांधना आता है या सिखाऊं” उनकी शरारत बंद नहीं थी।
“आता है,” ये कह कर मैंने उनको जीभ दिखाई।
“रुक तो सही अभी बताती हूं तुझे।” वो मेरे पीछे भागी।
मैं भी भाग के उनके कमरे में घुस गई और अंदर से लॉक कर लिया। अब मैंने पहले ब्लाउस पहना फिर सिर से पेटीकोट डाला जैसे औरतें डालती हैं नाड़ा कस के बांधा फिर साड़ी पहनना शुरू किया जो कि मैंने यूट्यूब से सीखा था। अब बारी थी मेकअप की। उसको भी किया लेकिन आज डार्क पिंक मैचिंग थी, साड़ी, चूड़ियां,नेलपेंट ब्लाउस सब मैचिंग था। अब फाइनल टच देकर शीशे में में देखा तो होश उड़ गए मेरे। माय गॉड मैं पहचान में नहीं आ रही थी। अब धीरे धीरे मैंने दरवाजा खोला बड़ी नज़ाकत के साथ मैं भाभी की ओर बढ़ने लगी, भाभी का ध्यान मेरी चूड़ी पाजेब की आवाज से भंग हुआ, जो उन्होंने देखा मुझे देखती रह गई।
“मेरी जान मैं नहीं जानती थीं कि कोई लड़का भी इतना सुंदर हो सकता है।”
उन्होंने मुझे गले से लगा लिया। हम दोनों ने मिलकर नाश्ता किया और बेड रूम में बैठ कर बातें करने लगे। उस दिन उन्होंने मेरे साथ बहुत सारी वो बाते शेयर की जो दो सहेलियों के बीच में होती हैं जैसे अपने कॉलेज टाइम के अफेयर, भैया के साथ की कुछ बातें। फिर उन्होंने अपनी अलमारी से अपने सूट, साड़ी, लहंगे, नाईटी वगैरह निकाल कर मुझे दिखाए। अपना लिपस्टिक, नेलपॉलिश, चूड़ी का कलेक्शन दिखाया। मेरा मन वो सब देख कर ललचा रहा था।
मुझे देख कर वो बोली “डोंट वरी बेबी,ये सब तुम्हारे लिए ही है। जब मन हो पहन लेना, वैसे भी ननद का ध्यान भाभी तो रखेगी ही।”
“भाभी यू आर ग्रेट” कह कर मैंने उन्हें चूम लिया।
“पागल मेरे गाल खराब कर दिए तूने” उनकी डांट में भी प्यार था।
रात को फिर हमलोग नाइटी में ही एक बेड पर सो गए। हमारे बीच में सेक्स का नामोनिशान न था। मेरे और उनके बीच में वो प्यार था जो दो औरतें ही समझ सकती थी। वैसे ये लेस्बियन लव भी नहीं था क्यूं की हम दोनों स्ट्रेट थी।
पूरे महीने हम दोनों ने खूब मस्ती की, हम दोनों के बीच अनुशासन भी बहुत था, हम लोग अलग अलग नहाते और कपड़े भी एक दूसरे के सामने नहीं पहनते थे। एक महीने में मैंने अपने अंदर की औरत को जी भर के जीया
भाभी का सहयोग लाजवाब था।
एक दिन..
“मेरी जान कल मम्मी आ रही हैं, अब फिर से मर्द बनने कि तैयारी करो, वरना वो दुल्हन की जगह दूल्हा ले आएंगी इस घर में,” भाभी ने मुझे हड़काया।
“लेकिन भाभी मेरे अंदर की औरत का क्या होगा? उसके बिना मैं कैसे जियूँगी?” मेरे आंसू निकाल आए।
“मैं जानती हूं, गुडिया मैं लेकिन कुछ नहीं कर सकती तेरे लिए। चलो हम घर वालों को मना लेंगे पर समाज का क्या करेंगे? वो तुमको जीने नहीं देगा, ऐसे ऐसे ताने मारेंगे जो तुम बर्दाश्त नहीं कर पाओगी, और तुमको कुछ हो गया तो ये तुम्हारी भाभी मर जाएगी, जी नहीं पाएगी।” भाभी की आंखे नम हो गईं थीं।
अब तो मैं भी रोने लगा। वो मेरे पास आकर बैठ गई और मेरा सर अपनी गोदी में रख लिया। आज मैंने महसूस किया कि भाभी भी दूसरी माँ होती है। कुछ देर बाद हम दोनों शांत हुए रात को मिलकर खाना बनाया, फिर अपनी अपनी नाईटी पहन कर सो गए, मुझे याद है सारी रात भाभी मेरे सर पर हाथ फेरती रही।
सुबह हम दोनों जल्दी उठ गए, मैंने रिमूवर से अपने नाखून साफ किए, अच्छी तरह से मेकअप उतारा,क्लिप इयररिंग्स उतरे,सारा सामान भाभी ने अपने सूटकेस में रख लिया और लॉक कर दिया।
दोपहर तक माँ आ गई मैं मां से लिपट गया। ना जाने क्यूं मैं इतनी इमोशनल हो गई कि भाभी भी मुझे देखकर चौंक गई।
“बहू क्या इसने तुम्हे परेशान तो नहीं किया? बड़ा ही ड्रामेबाज है, ये इतना बड़ा हो गया पर बचपना नहीं गया इसका” मां चालू हो चुकी थी, अब रोकना मुश्किल था।
“नहीं मम्मी ये तो इतना सीधा हे कि लगता ही नहीं की ये आपका बेटा है या बेटी है।” भाभी ने ये कहकर मेरी ओर देखा।
“भाभी!” मैंने बनावटी गुस्से से कहा।
“ऐसा क्या कह दिया मैंने” वो भोलेपन की एक्टिंग के रही थी।
“बच्चू अब देख मैं तेरा क्या करती हूं” इतना कह कर मेरी तरफ भागी। मैं मम्मी के पीछे छिप गया।
“तुम दोनों पागल हो गए हो क्या? दोनों में बचपना नहीं गया!” मम्मी बड़बड़ाती अपने कमरे में चली गई।
अब यहां से मेरी जिंदगी बदलना शुरू होती है, इस एक महीने ने मेरी अंदर की लड़की को इतना डोमिनेट कर दिया कि अब मेरा फ्रेंड सर्कल लगभग समाप्त हो गया,लड़कियों से मिलने में झिझक होने लगी, मोबाइल, लैपटॉप, और भाभी बस ये मेरी जिंदगी बन गए। इसी झिझक की वजह से नौकरी की तमन्ना नहीं रही, वैसे तो घर का बिजनेस इतना बड़ा था कि चार पुश्तें बैठ के खा सकती थी।
मेरा गुमसुम रहना भाभी को बुरा लगता था क्यूं कि वो मुझे परेशान नहीं देख सकती थी, उन्होंने भैया को कहा कि वो मुझे बिजनेस में लगा ले पर उन्होंने ये कह कर मना कर दिया कि उसे मौज करने दो, काम मैं संभाल रहा हूं, बहुत है।
एक दिन भाभी बोली, “क्यूं ना तुम कोई हॉबी शुरू करो जिससे तुम्हारा दिल बहल जाए, वैसे तुम इंग्लिश में परफेक्ट हो,(मेरे इंग्लिश में हमेशा टॉप मार्क्स आए हैं) क्यूं ना तुम प्राइवेट ट्यूशन करो? मेरी एक सहेली है जिसकी लड़की अभी हाईस्कूल पास हुई है।”
“तुम कहो तो बात करूं” भाभी ने आगे कहा।
“लेकिन भाभी वो मेरे नाज़ुक हाथ और ये नेल्स देख कर मज़ाक तो नहीं बनाएगी?” मैंने अपने हाथ उन्हें दिखाए।
“अरे आजकल लड़के भी नेल्स बढ़ाते हैं कोई कुछ नहीं कहेगा, हां इन्हे शेप कर लो बस” भाभी ने समझाया।
“ठीक है कल बात करते हैं।”
“जैसा आप उचित समझें,” मैंने धीरे से कहा।
उस रात को मैं सो नहीं पाई। मेरे अंदर की लड़की इस एक महीने में मेरे ऊपर इतनी हावी हो चुकी थी कि मन कर रहा था कि दौड़ कर जाऊं और मां और भाभी से कह दूं की मैं लड़की हूं, मैं भी चाहता हूं कि उनकी तरह साड़ी पहनूं, मेरे हाथों में चूड़ियां हो, जिनकी खनक मुझे दीवाना बना दे, मेरे कानो में बड़े बड़े झुमके हों, नाक में प्यारी सी नथ हो।
ये सब सोचते सोचते मेरा हाथ मेरी पैंटी में कब चला गया मुझे नहीं पता,(ये पैंटी भाभी की थी,जो उन्होंने मुझे गिफ्ट की थी। कुछ ब्रा भी थी जिन्हें मैं अकेले में पहन सकता था।)
मेरे अंदर की आग शांत नहीं हो रही थी, खैर मैंने अपने नाज़ुक हाथों से अपने आप को शांत किया।
सुबह के समय भाभी मेरे कमरे में आई, “क्या बात है,आज उठना नहीं है?” भाभी की आवाज़ मेरे अंदर शहद घोल देती थी।
“अं..”मैंने उठ के अंगड़ाई ली।
“गुड मॉर्निंग भाभी” मैंने मुस्कराते हुए कहा।
“गुडमॉर्निंग मेरी गुड़िया रानी।”
“मम्मी कहां है?” मैंने पूछा।
“मंदिर गई है,कोई काम था क्या?”
“नहीं”
“ओह! मैं कुछ और समझ रही थी” भाभी की मस्ती शुरू होने लगी।
“क्या?”
“यही कि उनकी बेटी अब अब जवान हो गई है, साड़ी, चूड़ी, पायल, पहनने लगी है।” अब वो मुझे छेड़ रही थी।
“भाभी???” मैंने मुंह फुला कर कहा।
“फिर फूल गई? अरे!मैंने क्या ग़लत कह दिया? एक बात बता, एक महीने से कौन मेरी चूड़ियों और साड़ी को पहन रहा था?”
“मैं और कौन?” मैंने भी खुल के जवाब दिया।
“और बता, तू कौन है, मर्द या औरत?” भाभी मुझे आज छोड़ने वाली नहीं थी।
“शरीर से मर्द हूं, लेकिन अंदर से, अपनी आत्मा से एक बेहद खूबसूरत औरत हूं।”
मेरा जवाब सुन कर भाभी दंग रह गई।
“तो फिर मम्मी से कह ना कि मैं भी आपकी तरह साड़ी, बिंदी, चूड़ी पहनना चाहती हूं।”
“नहीं कह सकती, आप जानती है फिर क्यूं अनजान बन रही हैं?”
“तो क्या करेगी, घुट घुट के मरना चाहती है, बता?”
“क्या करू?”
“कुछ मत करो, सही समय का इंतजार करो” वो बोली।
तभी मम्मी मंदिर से लौट आई।
“क्या हुआ? ये अब उठा है?” मम्मी को बस डांटने का बहाना चाहिए।
“नहीं, मैंने ही कह दिया कि अभी मम्मी नहीं है, थोड़ा और सो लो।” भाभी ने बात बना दी।
“बहू तूने इसे बिगाड़ दिया है,और तू ही इसे बनाएगी” मम्मी बनावटी गुस्से से बोली।
“अपनी ननद बना दिया, और क्या बनना है इसे?” भाभी धीरे से बोली जिसे मां नहीं सुन पाई, पर मैंने सुन लिया।मैंने भाभी की तरफ गुस्से से देखा,उन्होंने आंख मारी, मैं मुस्कराई और भाभी को प्यार भरी नजरों से देखने लगी।
“देवरजी,आज कहीं जाना है, भूल गए क्या?”
“हां,याद आया, शायद ब्यूटी पार्लर?” मैंने मुस्कराते हुए कहा।
“वो तो एक दिन तुमको ले जाना है मेरी जान।”
भाभी ने मेरी एक निपल पिंच कर दी।
“आह!क्या करती हो! भाभी।”
“क्यूं, क्या हुआ ?”
“लगती है” मैंने रुआंसे स्वर में कहा।
भाभी की हंसी निकल गई, “अरे ये ऐसे ही तो बड़े होंगे, मेरी जान।” वो हंसते हंसते बोली।
अचानक भाभी बोली “ए लड़की!तुमने मेरी पैंटी पहनी है क्या?”
“हां, क्या चाहिए आपको?”मैंने पूछा।
वो हंसकर बोली “रखले, तू भी क्या याद करेगी कोई भाभी मिली थी।”
मैं खुश होकर बोली “थैंक्यू मेरी स्वीट भाभी”
मैं जानती थी कि अब सिर्फ ब्रा पेंटी से ही काम चलाना होगा क्यूंकि अब घर में मम्मी के सामने ये नहीं हो सकता था।
“एक बात कहूं?” भाभी ने कहा।
“बोलो”
“अब तुम ये मर्दों वाले कच्छे की बजाय पैंटी पहन कर रहा करो तुमको अच्छा फील होगा, और मम्मी को भी पता नहीं चलेगा। ” उन्होंने बताया।
“वाकई!” मैं मन ही मन खुश हो रही थी।
शाम को हम दोनों भाभी की सहेली के घर जा रहे थे, भाभी ने गहरा गुलाबी पटियाला सूट पहना था, मैचिंग दुपट्टा, पतली कलाइयों में गुलाबी चूड़ियां, लम्बे लम्बे झुमके और मैचिंग लिपस्टिक, नेलपॉलिश। कुल मिलाकर एक जेनेटिक औरत होने का पूरा फायदा उठा रही थी वो।
उन्हें देखकर मैं सोच रही थी कि काश! मैं भी भाभी के साथ ऐसे ही सूट या साड़ी पहने होती, मेरे हाथों में चूड़ियां होती, लिपस्टिक, नेलपॉलिश लगा के लेडीज सैंडिल पहन कर जा रही होती।
“हे भगवान, मैं क्या करूं? तुमने मेरे साथ ऐसा मजाक क्यूं किया, क्यूं तुमने मुझे अर्ध नारी बनाया? मुझे शरीर मर्द का दिया लेकिन आत्मा औरत की क्यूं डाल दी। मैं क्या करूं?” मैं मन ही मन रो रही थी।
“क्या सोच रही हो? अब चलें?”
“अह…हां..चलो..” मैं सकपका कर बोली।
“ये लड़की भी पागल है, जाने क्या क्या सोचती रहती है।”
भाभी बुदबुदा रही थी। हम लोग बस वहां पहुँचने वाले थे। तभी भाभी ने कहा। “सुनो, यहां तुम एक मर्द हो, इसलिए मर्दों कि तरह पेश आना।”
“ठीक है भाभी, ऐसा ही करूंगी।” मैंने धीरे से कहा।
“क्या?? अरे ये करूंगी, जाऊंगी, ऐसे मत बोलना। कभी मर्द ऐसे बात करते हैं क्या?”
“क्या करूं? आपने एक महीने में मेरी मर्दानगी गायब कर दी, अब कहती हो मर्द बनो, इतना आसान है क्या?” मैं रुआंसे स्वर में बोली।
“तो ठीक है, चलो घर वापस चलते हैं फिर तुम मेरी तरह साड़ी पहन लेना, मेकअप करके हाथों में चूड़ियां डाल लेना, फिर चलेंगे सहेली के घर।” भाभी झल्ला के बोली।
“आप तो बुरा मान गई, मेरा मतलब ये नहीं था।” मैंने उन्हें मनाने की कोशिश की।
“यार! कभी तो सीरियस हुआ करो, चलो घर आ गया।” वो मुस्कराकर बोली।
घर क्या वो एक आलीशान कोठी थी। हमने बेल बजाई, थोड़ी देर बाद एक सुंदर सी लड़की ने दरवाजा खोला उम्र कोई १५-१६ के बीच, तीखे नयन नक्श थे। देखकर ही लगता था कि रईस परिवार की है, हाथ और पैरों के नाखून एकदम चमकदार लम्बे लम्बे, जिनपर गुलाबी नेल पैंट लगा था।
“हैलो आंटी! अंदर आइये” उसने बड़े प्यार से कहा।
“बेटा,मम्मी हैं क्या?” भाभी ने पूछा।
“हैं। अभी बुलाती हूं। आप बैठिए।” इतना कह कर वो अंदर चली गई। थोड़ी देर बाद एक सुंदर सी औरत उस लड़की के साथ आईं, उम्र कोई ३५-४० के बीच थी। उन्होंने एक बेहद खूबसूरत साड़ी पहन रखी थी, साड़ी से मैच करता ब्लाउस और चूड़ियां डाल रखी थी। कमानीदार भौहें, पर्पल नेलपेंट उनकी खूबसूरती को और ज्यादा बड़ा रहे थे।
“कैसे आना हुआ चांदनी?” मेरी भाभी का नाम चांदनी था।
“अरे ये मेरा इकलौता देवर है, बोल रहा था कि भाभी टाइम पास नहीं होता है, बोरियत होती है, क्या करूं।”
“अरे तो कोई नौकरी क्यूं नही कर लेता? जवान है, सुंदर भी है, माइंडेड है, इसकी तो नौकरी ऐसे ही लग जाएगी।” वो लेडी बोली।
“अरे शालू भाभी, मैंने बहुत कहा पर सुनता ही नहीं है, कहता है, मन नहीं है।” भाभी ने बताया।
“एक बात और है, ये शर्मीला बहुत है, कहता है कि इसे भीड़ भाड़ से डर लगता है। वैसे हमारे घर में सब कुछ है, किसी बात की कमी नहीं है, इसलिए हम इसे सर्विस के लिए फोर्स नहीं करते हैं।”
“लगता है, तेरी संगत इसे पसंद है। बिल्कुल ननद भौजाई की तरह।” शालू भाभी जो से हंसी।
कमरे में मुझे छोड़कर सभी हंसने लगे, मेरा मन कर रहा था कि भाग जाऊं यहां से, वो लड़की भी मुझे देखकर मुस्करा रही थी।
“अच्छा सुन कल से इसे कीर्ति को पढ़ाने भेज दे, मन लग जाएगा इसका। वैसे भी तुम्हारे परिवार पर हमें पूरा भरोसा है।” शालू भाभी ने कहा।
“ओके! डन” चांदनी भाभी बोली।
कुछ देर बातचीत होती रही, फिर चाय पी कर हम लोग वापस घर आ गए। मेरी पैंटी में अजीब सी गुदगुदी हो रही थी, शालू भाभी की बातें बार बार मेरे जहन में गूंज रही थी । “बिल्कुल ननद भौजाई की तरह” ये शब्द मैं भूल नहीं पा रही थी।
“क्या चांदनी भाभी ने शालू भाभी को मेरे बारे में बता तो नहीं दिया कि मैं मर्द के रूप में एक औरत हूं? अगर ऐसा है तो मेरा क्या होगा? क्या मैं ये कहूंगी कि शालू भाभी मैं भी आपकी तरह साड़ी चूड़ी पायल पहनना चाहती हूं, मेकअप करके रहना चाहती हूं, मैं भी आपकी तरह एक औरत हूं?”
सर दर्द से फटा जा रहा था, मैं भाग कर अपने कमरे में पहुंची, बिस्तर पर जा गिरी, आंखों से आंसू निकल पड़े। हे भगवान! क्या करूं, किससे कहूं, मन हो रहा था रोने का, रोती रही, रोती रही न जाने कब आंख लग गई।
“प्रतीक! प्रतीक, कहां है?” मैंने अपना नाम सुना, मैं चौंक गई, ये भाभी की आवाज़ थी।
मैंने कोई जवाब नहीं दिया, जून का महीना था, मैंने एसी बंद कर दिया। कमरा ठंडा हो चुका था।
अचानक कमरे का दरवाजा खुला, भाभी बदहवास सी मेरे पास आईं। “क्या बात है?”
“कुछ नहीं भाभी” मेरी आंखें नम थी।
भाभी ने मेरा सर अपनी गोद में रख लिया। “क्या बात है बेटा, क्यूं परेशान है?”
“ऐसे ही।”
कुछ सोच कर वो बोली, “लगता है शालू भाभी की बात से हर्ट हो गई हो”
मैं रुआंसे स्वर में बोली “भाभी घर में सब ठीक था, लेकिन अब बाहर भी अब मेरा मज़ाक बनाया जाएगा क्या?”
भाभी ने कहा, “क्यूं, ऐसा क्या हुआ?”
“भाभी मेरी कसम सच बताओ, आपने शालू भाभी को कुछ बताया तो नहीं?”
“मेरे बच्चे, मैंने कुछ नहीं बताया, मेरे सर की कसम।”
अब मै निश्चिंत थी, वो मेरे बालों में प्यार से हाथ फिरा रही थीं “चल, अब खाना खाले, भूखी होगी।”
अगले दिन मैं तैयार होकर शाम को ५ बजे शालू भाभी के घर पहुंच गई, फिर से दरवाजा कीर्ति ने खोला। आज मैंने काली टीशर्ट, काली जीन्स, और काले ही स्पोर्ट्स शूज़ पहन रखे थे। मेरे गोरे बदन पर काले कपड़े मस्त लग रहे थे। चेहरे के बचे खुचे बाल भी क्लीनशेव की आंधी में उड़ गए थे।
अब कहानी को मैं मर्द के रूप में बताऊंगा।
मैं घर घुसते समय थोड़ा सकपका रहा था। एक तो अकेला ,आज भाभी साथ नहीं थी।
हम एक बेहद आलीशान ड्राइंग रूम में आ चुके थे। मैं एक कीमती सोफे पर बैठ गया।
“सर मैं अभी मम्मी को बुलाती हूं।”
और वो अंदर चली गई।
थोड़ी देर बाद शालू भाभी अपनी बेटी के साथ अंदर से आईं।
“माफ़ करना, तुमको इंतजार करना पड़ा।”
“अरे नहीं भाभी” मैंने उत्तर दिया।
“चांदनी कैसी है?
“जी ठीक हैं।” मैंने उत्तर दिया।
फिर वो बोली, “ठीक है”
वो फिर अंदर चली गई। मेरा ध्यान उनके शरीर पर न होकर कहीं और था। पल भर में मैंने उनके कपड़े, मेकअप, गहने सब का एक्सरे कर लिया।
मैंने कीर्ति की बुक को लेकर पलटना शुरू किया। मेरा ध्यान कीर्ति के बजाए, उसकी नेल पैंट लगी पतली पतली उंगलियों पर था। “काश! मेरे हाथ ऐसे होते।” मैं सोच रहा था।
“कहां खो गए सर?” मुझे कीर्ति की आवाज़ कहीं दूर से आती सुनाई दी।
“अं.. कुछ.. कुछ नहीं।” मैं हकला गया।
तभी शालू भाभी चाय लेकर आई, और मेरे बगल मै बैठ गई।
“उफ्फ! क्या परफ्यूम की महक”
उनका शरीर मेरे बदन से छू रहा था। सलीके से बांधी गई साड़ी,उनके गोरे, गोरे, हाथों के लम्बे लम्बे नेल्स जो पर्पल नेल पेंट से दमक रहे थे, उनकी पतली पतली कलाइयों में दर्जन भर चूड़ियां।
“ओह! क्या करूं? शालू भाभी से कैसे कहूं कि भाभी मैं भी तुम्हारी जैसी बनना चाहती हूं, मेरे बदन पर साड़ी हो, हाथों में चूड़ियां हो, नेल पेंट लगा हो, कानो में झुमके लटक रहे हो, नाक में प्यारी सी दमकती नथ हो।” मेरी पैंटी में कुछ गीलापन उतर आया था, अगर अभी न गया तो गड़बड़ हो जाएगी।
“क्या हुआ? चाय क्यूं नही पी रहे हो?”
“अभी… प.. पीता हूं” मैं हकला गया।
जैसे तैसे चाय पी। कुछ समय बाद सोचने लगा कि अब क्या करूं? फिलहाल तो चुप रहना ही ठीक था।
“अच्छा चलता हूं, भाभी” कहकर खुद को संभालते हुए वहाँ से निकल गया।
जैसे तैसे घर पंहुचा। भाभी किचन में थी, पानी पिया, बेड पर लेट गया।
थोड़ी देर बाद भाभी कमरे में आई, “कैसा रहा पहला दिन मैडम का?”
“भाभी मुझे नहीं लगता कि मैं पढ़ा सकती हूं।” मैं फिर से लड़कियों कि तरह बोलने लगी।
“क्यूं, अब क्या हो गया?” भाभी परेशान होकर बोली।
मैं कैसे बताती कि मेरा ध्यान मां-बेटी के कपड़ों और उनके मेकअप पर था।
भाभी बोली “अरे, बता तो सही, सच बोलना।”
मैंने सर झुकाकर कहा “शालू भाभी को देख कर मेरे मन में कुछ कुछ हो रहा था।”
भाभी मन ही मन मुस्करा रही थी।
मैंने झल्लाकर कहा, “अब इतना खुश क्यूं हो रही हो?”
“मैं बताती हूं, मेरी गुडिया सोच रही होगी कि वो भी शालू भाभी की तरह साड़ी, चूड़ी, नेल पेंट लगा कर मैडम बन कर कीर्ति को पढ़ाती” भाभी हंसते हुए बोली।
“भाभी आप भी न!” मैं धीरे से बोली।
“कोई बात नही, मैं देखती हूं कि क्या करना है, कल से तू वहां जाना शुरू कर” फिर थोड़ी देर बाद बोली
“यार, एक आइडिया है। बताऊं?”
मैंने खुश होकर कहा, “बताओ!”
“शालू से कह दे कि शालू भाभी मैं भी आपकी तरह साड़ी, चूड़ी, मेकअप करना चाहता हूं। बताओ मैं क्या करूं?” भाभी अब मूड में आ गई।
मैं रूठ कर बेड पर साइड में बैठ गई। “भाभी!” मेरे मुंह से बस इतना निकला।
भाभी उठी,मेरे पास आई और बोली “पागल , मैं तो मज़ाक कर रही थी। तेरी सीक्रेट मेरे दिल में रहेगी, कसम से।”
तभी मां मंदिर से लौट आई, बोली, “क्या बातें हो रही है दोनों में?”
“कुछ नहीं मम्मी, बस प्रतीक से ये पूछ रही थी कि आज का पहला दिन ट्यूशन में कैसा रहा।”
मां ने कहा “ठीक ही रहा होगा,मेरा बेटा हीरा है समझी।”
रात का खाना खा कर हम सब सोने चले गए।
मैं बेड पर पड़ी सोच रही थी, भाभी के शब्द बार बार मेरे ज़हन में गूंज रहे थे जो उन्होंने अभी कहे थे साड़ी,
चूड़ी मेकअप के बारे में।
मेरा हाथ मेरी पैंटी में था, बेचैनी बढ़ रही थी, रात कब गुजरी पता न चला।
अगले दिन सुबह, मन कुछ अच्छा फील कर रहा था।
नहा धो कर मैं आईने के सामने अपने आप को निहार रही थी, क्लीन शेव चेहरा देखकर न जाने क्या हुआ, मैंने अपना हाथ फिराना शुरु कर दिया। “ओह! क्या हो गया है मुझे?अपने आप से प्यार करने लगी मैं।”
मेरे मन में एक कसक सी उठी।
मुझे पता नहीं चला कि मेरे पीछे भाभी कब आके खड़ी हो गई थी।
“क्या बात है? लिपस्टिक लगाने का मन कर रहा है?”
“आप भी न!” मैंने प्यार से उनकी ओर देखा।
उन्होंने मेरे हाथ देखते हुए कहा “एक बात है, तेरे हाथ, इतने मुलायम है कि लगता नहीं कि किसी लड़के के होंगे।”
वाकई, मेरे हाथ बेहद सुंदर थे, उसपर थोड़े से लम्बे नाखून उन हाथों को स्त्रियों के जैसे बना रहे थे।
शाम होते ही मैं शालू भाभी के घर पहुंच गई। बेल बजाई, दरवाजा भाभी ने खोला।
“आओ! अंदर आ जाओ।” भाभी प्यार से बोली। अब वो मुझे अपने बेडरूम में ले गई ।
“भाभी कीर्ति कहां है?” मैंने चारों ओर निगाह मारी।
“अरे! मैं बताना भूल गई, वो दो दिन के लिए अपने मामा के घर गई है है।”
“ठीक है भाभी, मैं चलता हूं।” मैंने निकलना चाहा।
“अरे! थोड़ा बैठो, काट नहीं लूंगी तुमको, चांदनी के देवर हो तो मेरे भी लगे।”
“एक बात बताओ, क्या घर में भी ऐसे छुई मुई बने रहते हो?” भाभी ने मेरा हाथ पकड़ लिया।
मैं पसीने से तरबतर हो गया,शायद पहली बार किसी बाहरी स्त्री का स्पर्श था,भाभी को छोड़ कर।
कोई लड़की मेरी दोस्त नहीं बनी, कुल मिलाकर मैं अंतर्मुखी था।
मैं पैर लटकाकर बेड पर बैठ गया।
“अरे! ऐसे नहीं, चलो मोजे उतार कर बैठो।”
किस मुसीबत में फंस गया,मन में भाभी को कोस रहा था। पर जैसे तैसे वहां से भागा।
घर आकर सीधे कमरे में, एसी आन किया, बेड पर लेट गया। बार बार मन में, एक ही ख्याल आता रहा, काश! मैं शालू भाभी की तरह साड़ी, चूड़ी पहनता, मेरे भी नाखूनों में नेलपेंट लगा होता। जब मैं अपने हाथों को नचा नचा कर बातें करता। तो मेरे हाथों की चूड़ियां खनकती, सच में औरतों के बीच में औरत जैसा बनकर रहना, मेरी दिली ख्वाहिश थी। दोनों भाभियां मुझे ब्यूटी पार्लर ले जाती। कितना मज़ा आता। ये सोच कर मेरे हाथ मेरी थोड़ी विकसित निपल्स पर चले गए, “आह! मैंने अनजाने में जोर से पिंच कर दिया।
बेचैनी बड़ गई थी, “हे भगवान! क्या होगा मेरा?” मेरे मुंह से हल्की सी आवाज आई।
तभी भाभी कमरे में आई, मेरा ध्यान कहीं और था। मेरे हाथ दोनों मेरे निपल्स पर थे अभी तक। भाभी के चेहरे पर एक शरारती मुस्कान आने लगती है, “क्या बात है,ननद रानी, कोई बॉयफ्रेंड पटा ले, वो इनको खीच, खीच कर गुब्बारा बना देगा।” उन्होंने मेरे निपल्स दबा दिए।
“उई मां!” मेरे मुंह से निकला।
“जब मैंने हल्का सा खींचा तो ये हाल है मैडम का। जब वो दबाएगा, तो क्या करेगी?”
“काट दूंगी साले को! मुझे नहीं चाहिए कोई बॉय वॉय फ्रेंड” मैंने बनावटी गुस्से से देखा।
तभी भाभी कुछ सोचने लगी। उनके चेहरे पर शरारत भरी मुस्कराहट बता रही थी कि उनके मन में क्या चल रहा है।
“चल आज हम दोनों शालू भाभी के पास चलते हैं, वैसे भी कीर्ति आज भी नहीं मिलेगी। कुछ बातें शेयर करेंगे, अपनी और तेरी दोनों की।”
अब मैं फंसी चक्कर में! दिल के कोने से आवाज़ आई, “प्रीति तू तो गई अब।”
तभी भाभी ने मम्मी से कहा, “मम्मी, आज शालू भाभी के यहां प्रोग्राम है, मैं कल लौटूंगी,”
“अकेली जाएगी? प्रतीक को साथ लेजा।”
“ठीक है मम्मी।” भाभी ने कहा। भाभी ने मेरी ओर देखा और आंख मारी दी।
समझ गई, बकरा, नहीं नहीं, बकरी कटने को तैयार है अब।
शालू भाभी के घर
“अहा! व्हाट आ सरप्राइज! देवर भाभी दोनों।”
“क्यूं, क्या दोनों नहीं आ सकते?”
शालू भाभी ने मुस्कराते कहा “क्यूं नहीं!”
भाभी ने शालू भाभी का हाथ पकड़ कर कहा, “प्रतीक,तुम बैठो, हम अभी आते हैं।”
मैं चुपचाप बैठ गई, मेरी पैंटी का तनाव कह रहा था कि अब कुछ जरूर होने वाला है।
थोड़ी देर बाद वो दोनों कमरे में आई। शालू भाभी मेरे पास आकर बैठ गई, और मेरा हाथ पकड़ कर बोली, “हाय!कैसे प्यारे हाथ है इसके”
भाभी बोली, “मुझसे पेडीक्योर, मैनीक्योर दोनों कराता है।”
“अच्छा, तभी इसके नाखून इतने लम्बे और स्टाइलिश हैं।”
शालू भाभी ने कहा “अगर नेलपॉलिश लगा ले तो मज़ा आ जाएगा।”
“नेकी और पूछ, पूछ।” भाभी बोली।
थोड़ी देर बाद मेरे हाथ पैर के नाखून चमक रहे थे।
“एक चीज की कमी है” शालू भाभी ने अपनी नेल पेंट की हुई उंगली अपनी ठोडी पर रखते हुए कहा।
“क्या?” भाभी ने पूछा।
“बिना चूड़ी के लड़की अधूरी रहती है।” शालू भाभी शरारत से बोली।
मैं घबराई, मुंह से निकला “भाभी?”
भाभी ने अनसुना कर दिया, “पहना दो,ये कौन सा लड़का है।”
शालू भाभी अंदर चली गई और मैं अब क्या करूं, ये सोचकर घबरा रही थी।
पांच मिनट बाद मेरे हाथ चूड़ियों से भर गए।
“अब ज़रा इनको खनखना दो, मेरी ननद रानी।” भाभी ने हंसते हुए कहा।
“चांदनी, इसे कमरे में ले चल, औरत बनी है तो कपड़े भी औरतों के पहनेगी।”
“सही कहती हो भाभी” अब उन्होंने मुझसे पूछा।
“क्या पहनेगी, साड़ी, सूट या लहंगा?”
“कुछ भी पहना दो” मैंने सर झुकाकर कहा, मैं अपनी चूड़ियों से खेल रही थी।
अंदर कमरे में-
मेरी शर्ट वगैरह को उतार दिया, मैंने अपनी जीन्स की जिप खोली, “हाय राम! ये तो सचमुच लड़की है, किसकी पैंटी है यह?” शालू भाभी ने मुंह दबाकर हंसते हुए कहा।
“भाभी की” मैंने धीरे से कहा।
“कोई बात नहीं,अब मेरा पेटीकोट पहन ले।”
शालू भाभी की बात सुनकर मेरी पैंटी झनझना उठी।
थोड़ी देर बाद मुझे तैयार कर शीशे के सामने खड़ा कर दिया गया। अपने आप को देख कर मैं पागल हो गई। रंग तो मेरा पहले से ही गोरा था, फिर चिकने बदन की वजह से सोने पे सुहागा। पूरी पर्पल ब्यूटी लग रही थी मैं। पर्पल साड़ी, ब्लाउस, नेल पेंट, और हाथों में चूड़ियां भी मैचिंग थी।
“यार! ये परी तेरे घर में छिपी थी, तूने बताया भी नहीं।”
अब मुझे एक स्टूल पर बैठाया, कंधे पर मेरा पल्लू पिन कर दिया।
शालू भाभी बोली,”तेरा नाम क्या है?”
“प्रीति!”
“अपने बारे में कुछ बताओ।” भाभी बोली।
मैंने कहना शुरू किया, “मेरा नाम प्रीति है, ये नाम मेरी भाभी ने दिया है, मुझे लड़की बनना अच्छा लगता है। मैं भी आप लोगों की तरह साड़ी पहन कर रहना चाहती हूं, मैं ये भी चाहती हूं कि मेरे हाथों में चूड़ियां हो। जब भी कोई काम करूं, तो ये चूड़ियां खनखनाती रहे। मैं नेल पैंट की शौकीन हूं, मेरे हाथों की देखभाल मेरी भाभी करती है, मैं हमेशा पैंटी पहनती हूं, जो मेरी भाभी ने मेरे लिए खरीदी हैं, कभी कभी मैं सलवार सूट भी पहनती हूं। मेरी भाभी के सूट मेरे फिट आते हैं, मेरी ख्वाहिश है कि मैं कीर्ति की मैडम बनकर उसे पढ़ाऊँ। मैं कह सकती हूं कि मेरे अंदर कैसी भी मर्दों वाली न बात है न ही फीलिंग है। मैं एक औरत हूं जो सिर्फ आप लोगो की तरह साड़ी चूड़ी मेकअप पहन कर रहना चाहती है।”
मेरे चुप होते ही दोनों ने मुझे गले लगा लिया।
शालू भाभी बोली “प्रीति, आज से तुम चांदनी की ही नहीं बल्कि मेरी भी ननद हो।”
रात को हम तीनो डबल बेड पर एक साथ सोए, किसी तरह की सेक्स की फीलिंग नहीं थी, बस दोनों ने मुझे सैंडविच बना दिया था। कभी शालू भाभी मुझे चिपका लेती, कभी मेरी भाभी।
सुबह उठ कर नहाने के बाद मेरा मेकअप भी साफ हो चुका था, रिमूवर से नेल्स साफ हो चुके थे। दोपहर हम घर आ गए।
“अब बता, खुश है अब?” भाभी ने प्यार से पूछा।
मैंने भाभी को गले से लगा लिया “भाभी यू आर ग्रेट!”
“चल झूठी!” भाभी ने प्यार से झिड़काया।
“नहीं भाभी, ये तुम्हारी वजह से संभव हुआ,” मेरी आंखे भर आई।
“अब रोना मत, तेरी ख़ुशी, मेरी खुशी।” भाभी ने मुझे चिपका लिया।
कहने को बहुत बातें है, जिनको अगर लिखने बैठूं, तो पूरा नॉवेल तैयार हो जाए,फिलहाल इतना ही ।
आगे नई कहानी में मिलती हूं बस अपने विचार जरूर व्यक्त करिएगा!
आपकी बहन *प्रीति*।
Note: Images here are used for illustration purpose only to express the women hidden inside us. No copyright violation intended. Images will be removed upon request.
Very enjoyable………one thing I must say……ICN has the best Bhabhi’s in the world………very well told story……..luv, hugs and kisses………Kajal
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You are right kajal di,I am much inspired by @icn.
Your comment made me smile 😊
Although this is my first story but now IAM speechless by your incauraging words
Thnx di
Preeti
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Welcome Preeti……luv,hugs and kisses…..Kajal
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Kajal,di,
Which part of this story you like most?
Your comment will make my day💖
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Mast story hai preeti
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Didi,pahle toh😘
मैंने अपना स्टोरी का वादा पूरा किया,आपके विचार मेरे लिए संजीवनी है।
दीदी अपने इंजॉय किया,मेरा काम हो गया।
प्रीति
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Waise aur bhi likh sakti ho tum
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मेरी प्यारी अनु दी और श्रुति दी,
आप दोनों का धन्यवाद में किन शब्दों में करूं?
आपका मेरे उपर भरोसा इस कहानी को लिखने का कारण बना।कहानी में जो पिक एडिट की है,उससे कहानी को समझने में बहुत आसानी होगी।
प्रीति
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tumhari kahani ki tara tum bhi sunder hogee tumharikahani bahu t saf suthri tatha bhavuk hai mai bhi tumhari tarah ek mard hun jo unser se ladki hai meri bhi sem story hai lekin mai shadi suda hun mere urman adhure hai
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Dear Rekha ,aarmaan hum log pure nhi KR pate Hain,lekin kahaniyon me apne AAP ko jee lete Hain.
Thnx a lot Meri story pasand aayi💖
Aapko bhi mauka milega bas apni wife ko convince karo.
Best of luck
Preeti
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ye urman ek aisi pyas jisko jitan bujhao utna badhati hai , iasa nahi hai ki mainecding nahi ki jitna kati utna hi badh jati hailikin ghar pariwar samaj me ek limit hai ek bar karne ke bad phir urman jag jate hai ya to ghar bar chod ke kinnar , hijda ban jao ya phir aisi hi kashm kash me jio.
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डियर,रेखा,
इस कसमकश का मज़ा वो क्या जाने जिसने,क्रॉस ड्रेसिंग नहीं किया हो,आप हम जैसे लोग इस कष्ट को खुशी खुशी झेलते हैं।क्रॉस ड्रेसिंग से हम लोगों को आकर्षित नहीं करते,बल्कि अपने वजूद को पहचानने की कोशिश करते हैं।बंद कमरे में हमको सुकून मिलता है,क्यूं की हमे अपने आप से प्यार हो जाता है,लेकिन कुछ भाग्यशाली भी है जो अपनी पत्नी या गर्ल फ्रेंड के साथ ऐसा कर सकते हैं।
लेकिन हिजड़ा या किन्नर बनना कोई अक्लमंदी का काम नहीं है।क्रॉस ड्रेसिंग का आनंद लीजिए,इसे सर दर्द मत बनाओ। ईश्वर की रचना है ये शरीर ,इसके साथ मज़ाक मत करो।
प्रीति
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dear Preeti tumne thik kaha isaka maja humare jaise log hi le sakte hai isko karne se ek anand aur sukun milta hai jisko karne wala hi samajh sakta hai mai crossdressing band kamre me bhi kar chuki hun bahar market me bhi ghum chuki hun,moovee bhi dekh chuki hon,mai delhi sehun to delhi me hare jaise logo ke liye , NGO hai unke tuch me bhi hu,lekin isko jitna pura karti hun utne urman aur badh jate hai,ab to tumhari story padh kar hi kuchh khushi ka ahsas hota hai, wife ko mere cding ke bare me malum hai wo oppose karti hai to ghar ki khushi ke liye crossdressing stop kar di hai lekin kya karu,isse apne ko alag bhi nahi kar paa rahi hun.apki stroty padh kar kuchh kuhush ho leti hun.
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Preeti bhabhi, jaisa maine “sanju” and “thank you bhabhi” mein maine khud ko main character ke jagah pr rakh ke kahani ka maza liya kuchh waisa hi main yaha bhi laga mujhe. Main to story ke end tak aapke character mein itni andar chali gayi thi ki pata hi nahi chala ki story ka end bhi ho gya hai. Literally, ye kahani chalti rahe serials ki tarah aisa sochne lagi thi main. Mujhe to yeh lag raha tha ki aap “chandani bhabhi” ki jagah pe ho aur main aapke jagah pe. Sach mein bhabhi ye story padhne ke bad bhi baar baar mann kar raha hai ye story padhne ko. Maine “sanju” and “thank you bhabhi” bahut baar padhi hai. Usi tarah se aaj jab se aapki story aayi hai maine 3 se 4 baar to padhi hi hogi. Har baar padhne mein kuchh naya lag raha hai. Aap aisi hi stories likhte raho aur hmesha khush rho, bhabhi.
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मेरी प्यारी,ननद रानी,सबसे पहले😘
माया बेटू,कहानी के बारे मैं इतना लिख दिया,मैं शब्दहीन हो गई,आपको इतनी पसंद आयेगी,मुझे उम्मीद नहीं थी कहानी अभी खत्म नहीं है,आगे इसका सीक्वल भी आएगा।चांदनी भाभी की ननद तुम्हीं हो,उससे अलग नहीं हो।
ढेर सारा प्यार तुमको,तुम्हारे शब्द मेरे लिए बहुमूल्य है।
प्रीति।
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My betu
Good news for ___
Next part of “ek kashmaksh ” will be ready for you in the first week of next month.
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Welcome to the ICN writers club Priti. I had the opportunity to read your story while I edited it and fixed minor errors about punctuation and stuff. जो भी कहो, कहानी पढ़कर मज़ा आया। लग रहा था कि ये कहानी चलती रहे और थोड़ी अधिक चुलबुली भी हो जाए। खासकर तब जब देवर अपनी भाभी को चिढ़ाता हो या फिर भाभी देवर/ननद को छेड़ती हो। बाकी सभी से पहले मैं यह कहानी पढ़ सकी ये मेरा सौभाग्य रहा।
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श्रुति दी,
मैं सातवें आसमान पर हूं,आपकी तारीफ,
बाप रे!विश्वास नहीं होता,आप के ही सानिध्य में मैंने ये सीखा है।दी,मन में जैसे जैसे विचार आते गए,लिखती चली गई।बस कहानी बन गई।
आगे भी लिखूंगी,जो गलतियां हुई,उनको सुधारना है।
आप यही प्यार बनाए रखना।
प्रीति।
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Shruti,Didi,
Apki email ID Kya he?
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Dear preeti auchi story ko aucha hi bolenge aur isey aage bhi likho
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Didi again😘
Aapka itna विश्वास,और तारीफ,शब्द कहां से लाऊं,मेरी डिक्शनरी भी कम पड़ जाएगी।आपकी उम्मीद पर खरी उतरी,मेरा सौभाग्य है।
प्रीति।
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Nice . Very nice.
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So nice of you😘but keval itna sa comment,nhi ,mann nahi Bhara
Preeti
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Kajal, Neha bhabhi, Rekha, Maya, Shruti and every reader who commented here. Thank you very much for encouraging the new writer. It means a lot to the writer and to me as it keeps us alive because your words are the rewards that writers get for sharing their story. Thanks again!
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अनु दी,सबसे पहले आपको🙏
ये कहानी में आपकी हौसलाफजाई की वजह से लिख सकी।कहानी अगर पाठकों को पसंद आई,तो मेरा काम हो गया।मुझे पता नहीं था, कि कोई इस कहानी को पसंद करेगा या नहीं।पहला प्रयास था मेरा,आजतक मैंने कहीं भी कुछ नहीं लिखा,बहुत धन्यवाद @icn को भी।
आगे भी लिखूंगी,कुछ गलतियां हुई उनको सुधारना होगा।
अगर ये कहानी पसंद आती है,तो इसका सीक्वल भी लिख सकती हूं,लेकिन आपकी अनुमति के बगैर नहीं।
थैंक्स,दीदी।
प्रीति।
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So nice story..so sweet.. love this story..❤
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My dearest priyanka.iam so glad to hear that you like my story .your kind words made my day. I will post more in future to get your kind attention.
Your loving 😍
Preeti.
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Dear Preeti…
I will wait for u r upcoming story..
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Sure,di,
Gentlewoman promise🥰
Your words worth millions for me
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Dear,Priya,my sweety
I am overwhelmed by your comment
Please stay with me,God bless you.
You are a superb writer, undoubtedly.
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प्रियंका दी,
आज कल icn शांत पड़ा है,आप ही कोई नई स्टोरी लिख कर यहां हलचल मचा दो।
मुझे आपकी स्टोरी बेहद पसंद हैं।🥰
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Bhabhi ne apne dewar ko jo supporr kiya hai usse wo ek bold ladki ban payega warna aurat banne ki chahat mein dil na jane kitni baat toot jata. Ghar mein pata chalta to na jane kya kya saza milti aur Preeti zinda laash ban jati ya suicide kar leti but anyways we have to understand this crossdressing concept and accept this.
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Bhabhi ne apne dewar ko jo supporr kiya hai usse wo ek bold ladki ban payega warna aurat banne ki chahat mein dil na jane kitni baat toot jata. Ghar mein pata chalta to na jane kya kya saza milti aur Preeti zinda laash ban jati ya suicide kar leti but anyways we have to understand this crossdressing concept and accept this. Thanks for great story
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Mysweet,hanshi Didi,
Which part of this story you like most.
You enjoyed this story, it’s my pleasure.
If anything wrong you find in this story please inform me,I will rectify in my next issue.
Thanks a lot my sweet heart ❤️
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Oh!hanshi di
🥰To you ,aapke vichar behad khoobsoorat Hain,Preeti lucky hai,shyad uski bhabhi uski iksha ko Puri Kara de,lekin kab?????
Raat abhi Baki hai😜
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Priti ki cd kahani bahut achchi lagi.Mai bhi usi ki tarah cd hu.mai bhi rat me aurat bankar churi payal neckles jhumka pahankar chat per tahalkar so jati hu.
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Nice
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Didi
😘💞
Love you so much.
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दी
बहुत बहुत धन्यवाद आपको कहानी पसंद आई।बहुत सारा प्यार,आगे भी ऐसी ही कहानी मिलेगी आपको।
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Gaytri didi
AAP Meri jaisi hi hongi kyun ki aapko bhi mere jaisa banana accha lagta hai.
Didi koi aapka anubhav ho to AAP yahan use share karen.ye toh Meri bhabhi ka Kamal hai Jo is kahani ko likh saki.
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I can’t access your old long stories like Maa, Ek beti jo beta thi, Devdas etc
Please help…I want to read all old platinum & gold stories once again
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Hansi di
Just go to “our stories”in the bottom of the page.then click you will get your favourite stories.
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You can find it here https://indiancdnovel.wordpress.com/2019/10/17/our-stories-collection/
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Preeti bhabhi, iska next part kab aaega?
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Dear just wait.iam working on the next part .but you can read my other story will be coming soon.
With love 😍. Thanks again.🥰
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Okay bhabhi, waiting for it….
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Priti app jo bhi kahani likhti hai wo hamare liye bahut hi sahas dene wala hota hai kyoki jaisa mai mahila ke rup me saj sawarkar makeup karti hu usi tarah ki aapki kahani hoti hai isi tarah ki romantic story likhti rahe jisse ki hamko cd banane ki sarm khatm ho sake aur ham apni life jiye.Thanks…..Gaytri
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दीदी😘
आपने मेरी जैसी मामूली राइटर के लिए जो शब्द कहे,मैं बिल्कुल ही निशब्द हूं।
दीदी ऐसा ही हौसला देती रहिए, आपको आगे बहुत स्टोरी मै लिख कर दूंगी।
लव यू दी💞
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Priti ji mujhe bhi aapke bhabhi jaisi koi girl mil jaye
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आपको भी ऐसी ही मजेदार भाभी मिलेगी।बस इंतजार करिए। मेरी भगवान से यही प्रार्थना है।🥰💞
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Kya aap mujhe whatsapp me baat kar sakti hai
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आप मुझे मेल करिए। बाकी जगह मेरे पास एक ही नंबर है वो भी मेरी मेल आईडी का है।😍
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Aapki mail id kya hai
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Aap mujhe mail kare my I’d anuj301193@gmail.com
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ओके डियर अभी करती हूं।💞
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Preeti ji thanku so much…
Itni achi story apne likhi hai ki…apki story se kho se gaye hai
Apne bahot acche se dever bhabhi k rishte ko crossdressing se btaya hai……
Apki story ne dil chhu lia hai……
Kash aisa aisi kashmkash mere sath bhi ho sake…….😊
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डियर, कहानी एक जरिया होता है अपनी अभिव्यक्ति जाहिर करने का।हमारे मन में जो कश्मकश चलती है वो कहानी के माध्यम से सामने आती है।
मुझे बेहद खुशी हुई कि आपको ये स्टोरी पसंद आई।आगे भी ऐसी ही मजेदार कहानियां आपको पढ़ने को मिलती रहेंगी।
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A very nice and beautiful story. This resembles some crossdressers dreams. If you can write in English please write it.
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बस आप थोड़ा और इंतजार कर लीजिए । एक और स्टोरी लिख रही हूं जो आपको जल्दी ही पढ़ने को मिलेगी😍
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प्रिय सहेलियों, प्रीति जी कश्मकश अच्छी लगी,वास्तव में भाभी घर में एक ऎसा किरदार है जो देवर के नारिकरण का सूत्रधार होती रही है। इस सब मै अब जब की वह नारी कृत होकर पढ़ाने जावेगी,मा को भी सब बताया जाना और स्वाभाविक लगता । फिर भी नारी करन रोमांटिक बन पड़ा है। प्रीति जी को बधाई ।नयना,,,,..
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नयना दी,आपको😘
आपको कहानी पसंद आई।ये पढ़ कर बहुत अच्छा लगा।
आगे भी ऐसी ही कहानी आपको पढ़ने को मिलती रहेंगी।
आपके विचार मेरे लिए संजीवनी के समान है।बस ऐसे ही आप मेरा उत्साह बढ़ाते रहिए।
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नयना दी,
अगर नारीकरण आपसी समझ के साथ होता है तो जिंदगी इतनी खूबसूरत हो सकती है कि आप सोच भी नहीं सकती।पत्नी का सहयोग सोने पे सुहागा हो जाएगा।अभी भी कई भाग्यशाली बहनें हैं जिनको ऐसी सहयोगी पत्नियां मिली है।
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Preeti ji aapki next kahani kab aayegi bahut din se wait kar rahi hu Samay katna muskil ho gaya hai kyoki nai kahani padhkar nai urja milti hai aur sajne sawrne ka sahas milta hai…Gaytri
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दीदी,कहानी अनु दी के पास पहुंच गई है।बस किसी भी दिन पोस्ट हो जाएगी। बड़ी खुशी होती है जब हमको ये पता चलता है कि आप कितनी शिद्दत से हमारी कहानी का इंतजार करती हो।🥰
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बस तैयार है,अनु दी के पास भेज दी है।
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बहुत ही जल्दी आपको स्टोरी मिलेगी।
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गायत्री दी,मेरी अगली कहानी अनु दी को भेज दी है।बस उनको समय मिलते ही वो इसे पोस्ट कर देंगी।
अब इंतजार खत्म होने को है🤗
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