अनजानी ख्वाहिश

अपने ही दिल की ख्वाहिश से अनजान भाई को उसकी बहन का साथ मिला तो घर की चारदीवारी भी उसे आजाद महसूस करने से रोक नहीं सकती थी।

पाठिका की कलम से

लेखिका : वानी

लॉकडाउन मे जब कॉलेज बंद हुआ तो उसके पास घर मे बैठकर अपनी दीदी के साथ समय बीताने के अलावा ज्यादा कुछ करने को न था। ऐसे ही खाली समय में जब दीदी कुछ मेहंदी डिजाइन बना रही थी, तब भाई बहन के बीच कुछ ऐसी बातें हुई जिसे भाई बचपन से जानता तो था, पर खुद समझ नहीं सका था। अपने ही दिल की ख्वाहिश से अनजान भाई ने जब अपने दीदी की बात सुनी, तब तो जैसे लॉकडाउन के दौरान चार-दीवारियों मे उसके लिए एक नई खूबसूरत दुनिया खुल गई थी जहां वो आजाद हो सकता था।

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कहानी

कहानी शुरू करने से पहले मैं आपको अपने बारे में कुछ बता दूँ । मैं और मेरी बड़ी बहन साथ में एक शहर में किराए के घर में रहते है और हमारा परिवार दूर के छोटे शहर में रहता है। हम दोनों परिवार से इतने दूर इसलिए है क्योंकि मेरा चयन एक अच्छे विश्वविद्यालय में हुआ है। जिस वजह से मुझे यहाँ आकर रहना पड़ा। और मेरी वजह से मेरी दीदी को भी मेरे साथ यहाँ रहने के लिए आना पड़ा। इसलिए हम सिर्फ दो ही इस शहर में रहते है। छुट्टियों में हम घर जरूर जाते है । मै एक छोटी हाइट का ओर नॉर्मल हैल्थ वाला लड़का हूँ, न ज्यादा मोटा, न ज्यादा पतला। और मेरा रंग भी अच्छा खासा गोरा है। और मेरी दीदी की भी हाइट मेरी जितनी ही है लेकिन वो मुझसे चार साल बड़ी है और इस शहर में एक निजी कंपनी में काम करती है।

अब शुरू करते है हमारी कहानी।
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