थैंक यू भाभी!

चार दिन बाद मेरी शादी होनी थी, और मन मे एक उलझन भी थी। और ऐसे मे मेरी भाभी ने मेरे लिए एक खास बैचलर पार्टी भी रखी थी …

भाग १

भाग २

भाग ३

भाग ४

भाग ५

मीठी सी उलझन भरी कहानी

लेखिका : देविका

चार दिन बाद मेरी शादी होनी थी, और मन मे एक उलझन भी थी। जानिए एक क्रॉसड्रेसर के दिल की उलझन कैसे सुलझती है देविका की इस छोटी सी कहानी में …


कहानी

चार दिन बाद मेरी शादी थी। उससे पहले भाभी ने मेरे लिए एक बैचलर पार्टी रखी थी। जब से मैंने क्रॉसड्रेसिंग शुरू की थी, मेरे पुरूष मित्रों के साथ मुझे असहजता होने लगी थी। इसलिए भाभी ही थीं जो मेरी अब एकमात्र दोस्त बची थीं। इसलिए मेरी एकमात्र दोस्त होने के नाते मेरी बैचलर पार्टी का भी इंतजाम उन्हें ही करना था।

मुझे दो ही दिन पहले भाभी ने बताया था कि बैचलर पार्टी में तुम्हारे लिए सरप्राइज है देवर जी। लेकिन उफ्फ… मेरे लिए तो शादी ही जबरदस्ती का सौदा थी। क्योंकि पत्नी आने के बाद मेरी क्रॉसड्रेसिंग जो बंद हो जानी थी। इसलिए बैचलर पार्टी को लेकर मुझे कोई इक्साइट्मन्ट नहीं था। फिर भाभी का सरप्राइज भला कैसे मुझे खुश करता?

लेकिन मुझे तब नहीं पता था कि वो बैचलर पार्टी मेरी शादी का सबसे यादगार तोहफा होगी। पार्टी वाले दिन सारे घर के लोग शादी के कार्ड बांटने शहर के बाहर गए थे। बस घर पर भाभी और मैं थे। पार्टी रात 10 बजे शुरू होनी थी। 7 बजे तक भाभी घर नहीं पहुंची थीं। उसी समय उनका फोन आया कि मैं फ्रेश हो जाऊं फिर तैयार भी होना है।

जब तक भाभी आतीं मैंने फ्रेश होने के बाद पार्टी में जाने के लिए जींस और ब्लेजर भी पहन लिए थे।

लेकिन भाभी आते ही मुझे देखकर बोलीं, ‘ये क्या पहन लिया देवर जी? मैंने बस फ्रेश होने बोला था.’

‘लेकिन, भाभी इससे अच्छा मेरे पास पार्टी में पहनने कुछ नहीं है.’

‘जब भाभी है तो फिर इस बात की चिंता तुम क्यों करते हो? ये लो ये पहनोगे आज तुम प्यारे देवर जी.’

भाभी अपने साथ जो बड़ा सा थैला लाई थीं, वो मेरे हाथों में थमा दिया।

लेकिन जैसे ही मैंने उसे खोलकर देखा, मेरी आंखें फटी रह गईं।

‘भाभी ये तो संभावना का दुल्हन वाला लहंगा है।’

‘पर आज यह देविका यानी तुम्हें पहनना है।’

भाभी की जुबां से देविका सुनकर मेरे तो हाथ-पांव ही फूल गए कि मेरा लड़कियों वाला नाम भाभी को कैसे पता?

बड़ी हिम्मत करके चिढ़चिढ़ाते हुए मैंने इस तरह बोला मानो कि मैंने कभी लड़कियों के कपड़े पहने ही न हों, ‘भाभी फालतू बकवास मत दिया करो। मैं लड़का हूं। मुझे लड़की बनने का शौक नहीं।’

भाभी अपने चेहरे पर स्माइल लाते हुए अपने जींस के पॉकेट से एक डायरी निकालते हुए बोलीं, ‘सरप्राइज…. सरप्राइज….’ और जोर-जोर से खिलखिलाने लगीं।

उफ्फ, ये तो वही डायरी थी जिसमें मेरी क्रॉसड्रेसिंग की सारी फैंटेसी लिखी हुई थीं। भाभी के हाथों में वो डायरी देखकर शर्म से मेरा चेहरा लाल हो गया और नजरें जमीन में धंस गईं। और भाभी मेरा हाथ पकड़कर अपने बैडरूम में ले गईं। एक-एक करके मेरे शरीर से वो सारे कपड़े उतारती गईं।

मैंने कहा, ‘भाभी प्लीज… उस डायरी को सीरियस मत लो। मैं नहीं पहनूंगा मेरी होने वाली पत्नी का लहंगा। ये शादी वाले दिन उसे पहनना है।’

‘संभावना तो शादी वाले दिन पहनेगी ही पहनेगी इसे देवर जी। लेकिन आपने अगर आज यह लहंगा नहीं पहना तो फिर फ्यूचर में आपके पहनने की संभावना नहीं बचेगी।’

‘प्लीज भाभी ये सब शादी के पहले की बात थी, अब मेरा औरत बनना ठीक नहीं होगा। यह संभावना के साथ धोखा होगा।’

‘लेकिन अभी तुम्हारी शादी कहां हुई है देवर जी?’ (भाभी मुझे ब्लाउज पहनाते हुए बोलीं।)

‘भाभी प्लीज यह ठीक नहीं होगा कि अपनी पत्नी का शादी का लहंगा उससे पहले मैं पहन लूं।’

भाभी मेरे ब्लाउज की डोरी पीठ पर कसते हुए बोलीं, ‘देवर जी सिर्फ लहंगा नहीं, आपको आज मेकअप, चूड़ियां, पायल, झुमके, बूंदा वो सब पहनना है जो शादी वाले दिन संभावना यानी तुम्हारी पत्नी पहनने वाली है। मतलब संभावना से पहले आज उसके पति यानी तुम्हारी दुल्हन बनने की बारी है।’ और अपनी बात खत्म करके भाभी ने वो लहंगा मेरे सिर से डालकर मेरी पतली कमर पर टाइट कस दिया। फिर भाभी मेरा मेकअप करने लगीं।

‘भाभी संभावना क्या सोचेगी?’

‘संभावना को पता चलने की संभावना ही नहीं है। आज तो बस मेरे देवर जी देव से देविका के रूम में दुल्हन बनेंगे और अपनी होने वाली पत्नी से ज्यादा सुंदर औरत दिखेंगे।’

आखिरकार मैंने भाभी के सामने हथियार डाल दिए और वो मेरे लंबे बालों का जूड़ा बनाकर मुझे सिर से लेकर पांव तक हर वो आभूषण पहनाने लगीं जो एक दुल्हन के लिए जरूरी होता है।

अंत में मेरे हाथों में चूड़ियां पहनाते हुए वो बोलीं, ‘एक औरत की सच्ची पहचान उसके हाथों में खनकती चूड़ियां ही होती हैं। अब इन्हें पहनने के बाद भूल जाना कि तुम एक मर्द हो। अब से मेरी ही तरह तुम भी एक औरत हो और आज दुल्हन के रूप में औरत होने का हर एहसास जी लो। भूल जाओ कि किसी लड़की से चार दिन बाद तुम्हारी शादी है। बस यही सोचो कि आज इस खूबबूरत दुल्हन देविका की बारात आने वाली है और उसके साजन के घर उसकी डोली जाने वाली है।’ (शर्म के मारे मेरा चेहरा लाल हो गया और मैं बस अपने हाथों की चूड़ी और कंगन देखने लगी।)

भाभी ने अपने हाथों से मेरा चेहरा ऊपर उठाया और दोनों हाथों से मेरी नज़र उतारते हुए बोलीं, ‘बहुत खूबसूरत लग रहे हो देवर… उप्स माफ करना खूबसूरत लग रही हो ननद रानी।’ और खिलखिलाकर हंस पड़ीं।

शर्म से मेरे गाल लाल हो गये और हल्की मुस्कुराहट के साथ मैंने अपनी नजरें फिर से झुका लीं।

‘हाय दुल्हन तो अभी से शर्माने लगी। जब पतिदेव सुहागरात पर घूंघट उठाएंगे, थोड़ी लाज शर्म उसके लिए भी तो बचाकर रखो।’ ऐसा कहकर मुझे छेड़कर खिलखिलाते हुए उन्होंने मेरे स्तनों पर चिकोटी काट ली।

‘आउच्च… भाभी…’ और मैंने शर्माते हुए एक मुक्का भाभी के बाजू में मारा।

‘उफ्फ… इतने में ही चीख निकल गई। जब पतिदेव दबाएंगे तब तो मोहल्ला इकट्ठा कर दोगे देवर जी… उप्स बार-बार जुबां फिसल जाती है… सॉरी मेरी ननद रानी।’

एक बार फिर भाभी खिलखिलाकर हंस दीं। अब तो मेरी शर्म का ठिकाना नहीं रहा था और शर्माते हुए फिर भाभी में एक प्यार भरा मुक्का मारा।

और मुंह फुलाकर नजरें झुकाकर हल्की से आवाज में बोला, ‘मुझे मर्दों में कोई इंटरेस्ट नहीं है।’

‘फिर इतनी खूबसूरती लेकर कहां जाओगी, किसी का तो भला करो।’ (उन्होंने कोहनी मारकर कहा और मैं सिर झुकाकर शर्म से मुस्कुराती रही।)

फिर मेरे पीछे खड़ी होकर भाभी ने माथे पर बूंदा पहनाया और आईने में हम दोनों ननद-भाभी मुझे देखने लगे। फिर मेरे कंधे पर सिर लाकर प्यार से मेरे गाल को चूमती हुईं भाभी बोलीं, ‘यही चाहत थी न तुम्हारी? अगर उस दिन तुम्हारे फ्लैट की सफाई करते हुए मुझे तुम्हारी वो डायरी नहीं मिली होती और उसमें लिखे पासवर्ड से तुम्हारा लैपटॉप खोलकर तुम्हारी औरत के रूप में फोटो नहीं देखी होतीं, तो कभी पता ही नहीं चलता कि मेरी एक इतनी सुंदर सी ननद भी है जिसे मैं हमेशा देवर समझती रही। अब एक दिन के लिए तुम मेरे देवर नहीं, मेरी प्यारी सी खूबसूरत ननद हो।’

मेरी आंखें भी नम हो गईं और खड़े होकर भाभी के गले से लिपटकर कहा ‘Thank You Bhabhi.’

भाभी ने मेरा माथा चूमते हुए और चूड़ियों से भरे मेरे हाथों को अपने हाथों में थामकर कहा, ‘भाभी ही नहीं, दोस्त भी हूं तुम्हारी। भला कैसे तुम्हारी इच्छा अधूरी रहने दे सकती थी।’

‘लेकिन भाभी अब दिक्कत नहीं होगी कि इस लहंगे का ब्लाउज आपने मेरे नाप का सिलवा‌ दिया। शादी वाले दिन मेरी पत्नी संभावना क्या पहनेगी, उसे तो टाइट होगा? आप मुझे कुछ और ही पहना देतीं।’

‘कैसे पहना देती भला। संभावना से ज्यादा ये लहंगा तुम्हें पहनना जरूरी था। उसे तो ये पसंद ही नहीं था न। तुमने ही जिद करके उसे दिलाया था। यानी कि ये लहंगा तुम्हें पसंद था न।’ (भाभी ने मुस्कुराते हुए मुझे आंख मार दी और मैंने भी मुस्कुराते हुए नजरें झुका लीं।)

‘जब मैंने तुम्हारी डायरी में पढ़ा कि तुम्हें दूल्हा बनने से ज्यादा दुल्हन बनने की ख्वाहिश है और शादी के पहले आखिरी बार लड़की बनकर दुल्हन की तरह सजने की चाहत है। मैं तभी समझ गई थी कि यह लहंगा मेरी देवरानी नहीं, मेरा देवर खुद पहनना चाहता है।’

मैं दुल्हन की तरह शर्माती भाभी के सामने खड़ी थी और फिर भाभी बोलीं, ‘वैसे चिंता मत करो, इस ब्लाउज का एक और पीस मैंने एक्सट्रा ले लिया था, जो संभावना के साइज का सिलवाया है।’

‘भाभी, इतना सब करने की जरुरत नहीं थी आपको।’

‘जरूरत थी। वरना संभावना को शादी वाले दिन इस लहंगे में दुल्हन बने देखकर तुम्हें उससे जलन होती और अपनी शेरवानी उतारकर संभावना का लहंगा पहनकर खुद दुल्हन बनने का मन करता। वैसे भी इस लहंगे में तुमसे ज्यादा खूबसूरत संभावना दिख ही नहीं सकती।’

(ऐसा कहते हुए भाभी ने मेरे सिर पर चुनरी उड़ा दी) मैं पायल और चूड़ियां खनकाते हुए चलकर इठलाते-बलखाते आईने में खुद को देखने लगी।

‘अब खुद ही खुद को देखती रहोगी देविका मैडम। औरत का श्रृंगार तब तक अधूरा है जब तक कोई उस पर मोहित न हो जाए।’

‘मतलब?’

‘मतलब कि अभी तो तैयार हुए हैं बैचलर पार्टी के लिए, पार्टी शुरू कहां हुई है। पार्टी वेन्यू रेडी है बस हमारा पहुंचना बाकी है।’ (भाभी ने आंख मारी)

मैंने अपना लहंगा संभालते हुए चौंककर कहा, ‘Bhabhi I’m not going anywhere like this.’

‘अपने बैडरूम में भी नहीं?’ (आंखें मारते हुए मुस्कुराकर भाभी ने पूछा)

बड़ी सी आंखें फाड़कर मैंने कहा, ‘ what????’

‘क्यों नहीं मनानी क्या सुहागरात? बिना सुहागरात के दुल्हन अधूरी होती है। वो दुल्हन ही क्या जिसे कोई देखे नहीं, चाहे नहीं और अपने रूप से वो किसी को रिझाए नहीं?’ (फ्लाइंग किस देकर भाभी ने कहा)

‘Nooooo Bhabhi… no wayyy…’

‘अच्छा फिर डायरी में क्या लिखा था?’ (वो मेरे सामने डायरी लहराते हुए बोलीं और मैंने उनसे छीनने की कोशिशें शुरू कर दीं।)

‘अब ड्रामे मत करो, जाओ भी बैडरूम में। मन में लड्डू फूट रहे हैं और नखरे तो देखो दुल्हन के।’

‘कोई लड्डू नहीं फूट रहे भाभी। आप तो बस बात का बतंगड़ बनाती हो….’ (अपनी चुनरी से खेलते हुए शर्माकर मैंने कहा)

‘ओ अच्छा … लहंगा पहनते वक्त भी कोई ऐसे ही नखरे दिखा रहा था कि मैं लड़का हूं, लड़की बनने का शौक नहीं। अब देखो तो जरा लड़की बनकर कैसे इतराया जा रहा है’ (भाभी ने कोहनी मारकर मुझे छेड़ा और मैं शर्म से नजरें झुकाकर मुस्कुराने लगी।)

‘अब जाओ भी, दुल्हन तो बन ही लिया, अब बाकी की इच्छा भी पूरी कर लो, वरना शादी के बाद जीवनभर तो तरसना ही है अपनी इन नाजुक कलाईयों में चूड़ियां खनकाने के लिए।’

मैंने भाभी को गले लगा लिया और वो बोलीं, ‘आज जी लो एक औरत की जिंदगी का वो सबसे खूबसूरत दिन जब वो दुल्हन बनती है।’

फिर मैं अपने दोनों हाथों से लहंगा संभालते हुए चूड़ियां पायल खनकाते हुए अपने बैडरूम की ओर चल दी। लेकिन तभी कुछ सोचकर रुकी और अपनी चुनरी निकालकर भाभी को थमा दी और वापस बैडरूम जाने लगी।

‘ओए देविका चुनरी क्यों उतारकर जा रही है?’

‘भाभी मैं नये जमाने की कॉन्फीडेंट दुल्हन हूं चुनरी नहीं ओढ़ती।’

‘हाय लड़की… बेशर्म दुल्हनिया। तुम सच में पूरी लड़की हो। God did a mistake by making you a Man’ (और भाभी खिलखिलाकर हंस दीं।)

मैं शर्माकर नजरें झुकाकर मुस्कुराते हुए अपनी सुहागरात यानी यूनिक बैचलर पार्टी मनाने बैडरूम की ओर चल दी, एक ऐसी यूनिक बैचलर पार्टी मनाने जहां लड़का शादी से पहले खुद दुल्हन की तरह सजकर बैडरुम में सुहागरात मनाने जा रहा हो। वो भी वही लहंगा पहनकर जो उसकी होने वाली पत्नी शादी के दिन पहनने वाली है।

एक क्रॉसड्रेसर के लिए इससे ज्यादा खूबसूरत पल और कोई नहीं हो सकता था। और यह सब मुमकिन हुआ भाभी के कारण। इसलिए अपने बैडरूम में सुहागरात के लिए जाते वक्त जब मैं चूड़ियां और पायल खनकाते हुए भाभी के बैडरुम से निकल रही थी, तभी एक सैकंड के लिए दरवाजे पर रुकी। अपना एक हाथ गेट पर टिकाया और सिर घुमाकर मुस्कुराते हुए भाभी से कहा, ‘Thank You Bhabhi.’

अब आगे भाभी ने बेडरूम मे क्या सप्राइज़ रखा था ये तो इस कहानी की लेखिका देविका ही जानती है। पर इस कहानी को पढ़कर आपके दिल मे कैसा लगा इस बात को छिपाए नहीं और अपने विचार यहाँ शेयर करे. कमेन्ट के लिए ईमेल या लॉगिन की आवश्यकता नहीं है.

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Note: Images here are used for illustration purpose only to express the women hidden inside us. No copyright violation intended. Images will be removed upon request.

Author: Devika

A handsome guy who embraced the femininity when he first saw himself in ladies attire. I found that I look more attractive as a girl than a boy. So, I quit my muscles and toughness, and turned myself in a soft, delicate and beautiful young girl.

273 thoughts on “थैंक यू भाभी!”

  1. First of all thanks to Team ICN for providing a such a nice platform to all CD lovers for expressing their love for this. Also sharing their life’s experience and much more on it.
    It’s my humble request to all story writers to write a story on Kavachauth festival where wife and Husband ( dressed as a women) doing same for each other to respect others feelings. Looking forward with the hope for nice story on episodes on it. Once again thanks to ICN.

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  2. ऐसा लगता है ऐसे कहानियों का अकाल पड़ गया है लिखने वाले सो गए हैं मैं पिछले 2 महीने से नहीं कहानी का इंतजार में परंतु मुझे ऐसा लगता है कि हमारे लिए दिखाएं अपने प्यार शायद काहे हमें भूल गई और अपने एहसासों को बयां करना भूल चुकी हैं सभी सीडी की तरफ से आप सभी लेखिकाओं से गुजारिश कर रही हूं कि कोई नई मदहोश करने वाली कहानी लिखो धन्यवाद

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  3. ऐसा लगता है ऐसे कहानियों का अकाल पड़ गया है लिखने वाले सो गए हैं! मैं पिछले 2 महीने से nai कहानी ke इंतजार में hoon परंतु मुझे ऐसा लगता है! कि हमारे लिए लिखने वाली अपने प्यार को शायद भूल गई और अपने एहसासों को बयां करना भूल चुकी हैं, सभी सीडी की तरफ से आप सभी लेखिकाओं से गुजारिश कर रही हूं कि कोई नई मदहोश करने वाली कहानी लिखो धन्यवाद

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    1. आप ऐसे क्यूं कह रही हैं दीदी?
      अभी कुछ दिन पहले ही मैंने एक स्टोरी पोस्ट की।🥺

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  4. Agar koi lko se h or aise hi Dulhan bana k mujhse suhagrat manana chahta h to btae msg me on watsapp 6392364305 full maja milega

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