प्रतिभा: एक अजनबी से मुलाकात

When I found that my wife was cheating on me with another man, I was furious. But that man caught me wearing my wife’s saree. What would he do to me?

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संपादक के विचार: हम नहीं चाहते कि इस कहानी को पढ़कर पाठक समझे कि क्रॉसड्रेसर कहीं से भी किसी पुरुष या स्त्री से कमतर है. इस कहानी का विषय आपके लिए ज़रुरत से कहीं अधिक हॉट और सेक्सी हो सकता है. आपको चेतावनी दी जा चुकी है.

लेखिका: प्रतिभा मेहरा

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जीवन के उतार चढाव से गुज़रते वक़्त परिवर्तन हमारे जीवन में चलता रहता है. और इस परिवर्तन की यात्रा में हम कुछ नया ढूंढ पाते है कुछ नया सिख पाते है

हर किसी की तरह, मेरी ज़िन्दगी में उतार चढ़ाव थे जिसने मुझे अपने बारे में कुछ जानने का अवसर दिया कि मैं वाकई में कौन हूँ और क्या चाहता हूँ. मेरा नाम रोहित है, ३२ साल का शादी शुदा इंसान और मुंबई में रहने वाला, एक MNC में काम करता हूँ. यह मेरी आत्मा-साक्षात्कार की कहानी है, एक कहानी उस दिन की जब मेरी दुनिया हमेशा हमेशा के लिए बदल गयी.

बचपन से ही मेरे अन्दर स्त्रियों के कपडे पहनने की उत्सुकता थी. मुझे अपनी माँ के कपडे पहनना बहुत पसंद था. मुझे बहुत अच्छा लगता था जब अपनी माँ को साड़ी पहन कर दिन भर के काम करते देखता. वो जैसे तैयार होती थी, और साड़ी पहन कर जो उनका व्यक्तित्व होता था, मैं बस उन्ही की नक़ल कर खुद उनकी साड़ी छुप छुप कर पहनता था.. और रोहित से प्रतिभा बन जाता था. मुझे साड़ी पहनना और उसमे शामिल हर छोटी छोटी गतिविधी से लगाव था जैसे पेटीकोट पसंद करना, ब्लाउज मैच करना और फिर साड़ी से मैच करती चूड़ियां और गहने खरीदना. बड़े होते होते माँ की साड़ी पहन कर मैं कभी कभी घर में ऐसे घूमता जैसे मैं एक कामकाजी औरत हूँ और ऑफिस जाने वाली हूँ. कहने की ज़रुरत नहीं है, पर मेरी माँ मेरी रोल मॉडल थी!

पर साड़ी पहनने के अलावा, मेरे अन्दर कभी कभी एक आदमी के साथ की इच्छा भी होती थी जो मुझे एक औरत की तरह अपने साथ रखे, मुझे पूरा करे. पर उस वक़्त, न तो ये संभव था और न ही मेरी ये भावना प्रबल थी. तो मैं इसके बारे में या तो सोचता नहीं था या फिर उन विचारो को दबा देता था. पर एक आदमी की चाहत हमेशा मेरे दिल में कहीं दब कर रही.

आज की बात करू तो मैं और मेरी पत्नी सुनैना, हम दोनों अँधेरी के आलिशान काम्प्लेक्स में रहते है, हम दोनों की बहुत अच्छी नौकरी भी है. हम दोनों की शादी के पहले ३ साल तो बहुत ही अच्छे बीते, पर एक दिन वो कुछ बदल गयी. उसके बारे में, उसके व्यव्हार में, कुछ बदलाव आ गया था. अब वो अपने सजने सँवरने और अपनी देखभाल में बहुत ज्यादा समय व्यतीत करने लगी थी. हर हफ्ते अब पारलर भी जाने लगी थी, हर हफ्ते नेल पोलिश और हेयर स्टाइल भी करवाती थी. मैंने देखा कि अब उसके कपडे भी थोड़ी बोल्ड और सेक्सी होने लगे थे, उसकी स्कर्ट की लम्बाई छोटी होती जा रही थी, और उसकी साड़ियाँ सेक्सी, और उसके ब्लाउज तो और भी सेक्सी. अब जब वो साड़ी पहनती तो उसके भरे पूरे तन से चिपक कर रहती. मेरी पत्नी सुनैना थोड़ी भारी है, लगभग ७५ किलो और उसका कद है ५’७”. उसके स्तन भी भारी थे और ३६C साइज़ की ब्रा पहनती थी वो. जो की मेरे लिए तो बहुत ही अच्छी बात थी क्योंकि मैं उससे सिर्फ २ इंच ऊँचा था, इसका मतलब उसके सभी कपडे मैं आसानी से पहन सकता था. जब भी वो काम पर जाती, मैं उसके कपडे पहनता था, क्योंकि हम दोनों के काम के घंटे अलग अलग थे.. मैं उसके लिए जान बुझकर ऐसे कपडे या चीज़े खरीद कर गिफ्ट करता था जो मैं खुद पहनना चाहता था. और जब वो घर पर नहीं होती… तो मेरे और उसके कपड़ो के बीच कुछ नहीं आता.

सब कुछ तो ठीक था हमारे बीच, पर यह नया बदलाव मुझे बड़ा खटक रहा था. मैं महसूस कर सकता था कि उसका किसी के साथ अफेयर चल रहा है, शायद उसके ऑफिस के सहकर्मी के साथ. पर पूरा यकीन अब तक नयी था. और एक दिन उसने मुझे बताया कि वो ऑफिस के काम के सिलसिले में टूर पर ४ दिन के लिए मुंबई के बाहर जा रही है. मैं बड़ा ही खुश था कि ४ दिन अब मुझे औरत बनने का मौका मिलेगा. पर साथ ही साथ मुझे शक भी था, न जाने उस “टूर” पर क्या गुल खिलाने वाली थी वो. मैंने तय किया कि उसके आने के बाद मैं इस बारे में उससे बात करूंगा. मुझे शक था कि उसका चक्कर उसके ऑफिस के पंकज के साथ था, बहुत ज्यादा ही दोस्ताना था उनके बीच.

जब पत्नी का कहीं अफेयर चल रहा हो तो लाइफ में बड़ा स्ट्रेस होता है. और आपको किसी ऐसी चीज़ की तलाश होती है जिससे आप अपने अन्दर चल रहे द्वन्द से मुक्त हो सके. मेरे लिए साड़ी पहनना वो तरकीब थी जिसके बाद मैं हमेशा रिलैक्स महसूस करता था. “जब तक वो वापस आएगी, तब तक तो मैं अपने अन्दर के औरत को बाहर लाकर रहूंगी.”, मैंने सोचा. गुरूवार आ चूका था और सुनैना ने २ सूटकेस पैक कर लिए थे अपने कपड़ो के साथ. मैंने उससे ज्यादा सवाल नहीं पूछे क्योंकि उसने स्कर्ट्स, टॉप्स, और सलवार ही रखे थे… उसकी सारी साड़ियाँ मेरे लिए घर में ही थी! साड़ियाँ मेरा पहला प्यार है औरत बनने के लिए. मेरी पत्नी के पास अनगिनत साड़ियाँ है जिसमे अधिकतर तो मैंने उसे गिफ्ट की थी, पर वो उन्हें कभी कभी ही पहनती थी. उसकी साड़ियों को तो उससे ज्यादा मैंने पहना था!

एक बार जब वो घर से बाहर टैक्सी लेकर एअरपोर्ट के लिए निकल गई, मैं तुरंत ही बाथरूम चला गया नहाने और शेव करने. बाहर आते वक़्त मैंने एक बड़ा सा तोवेल लड़कियों की तरह लपेट कर बाहर आया. अब मैं मन से लड़की हो चुकी थी. बाहर आकर मैंने अपनी पत्नी की अलमारी खोली. मुझे उसकी अलमारी देखना बड़ा अच्छा लगता था. न जाने कितनी ही कीमती डिज़ाइनर साड़ियाँ थी उसमे. उसकी साड़ी, ब्रा और ब्लाउज को छूकर ही मेरे तन मन में रौंगटे खड़े हो जाते थे. और आज तो मैं चैन से उन्हें छूकर अपनी पसंद की साड़ी, ब्रा और ब्लाउज पसंद कर सकती थी!

मैंने एक मैरून -गुलाबी रंग की प्लेन शिफ्फौन की साड़ी पसंद की जिस पर सुनहरी बॉर्डर थी और उसके पल्लू के अंत में छोटे छोटे मोती लगे हुए थे. मैंने एक सुनहरा छोटी-आस्तीन वाला ब्लाउज भी निकाली. यह ब्लाउज नया नया खरीदी थी सुनैना ने. उसकी पीठ काफी गहरी थी, कि बिलकुल बैकलेस ब्लाउज की तरह लगे और उसका सामने का कट भी बहुत सेक्सी गहरा था! फिर मैंने एक सैटिन का पेटीकोट भी अलमारी से निकाली जो की स्पैन्डेक्स के कपडे का बना था, और पहनने वाली औरत के तन से ऐसे चिपक जाता था कि साड़ी पहनकर शेप बहुत ही सेक्सी दिखाई देता था. मैंने सैटिन को अपनी टांगो से छूते हुए पेटीकोट पहनी और फिर साड़ी अपने तन पर लपेटने लगी. साड़ी पहनते पहनते मैं खुद को आईने में देख रही थी, और सामने ऐसा लगा जैसे एक बेहद हॉट औरत मुझे देख रही हो. मैंने अपनी साड़ी की कमर पर प्लेट एडजस्ट की और अपने पल्लू को खुला रखकर अपने ब्लाउज पे पिन लगा दी, और फिर गले में एक मोती के हार और कान की बालियाँ पहनी जो मैंने सुनैना को एनिवर्सरी पर गिफ्ट दी थी.

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मैं पूरी तरह से तैयार हो कमर मटकाते घर में चलने लगी!

साड़ी पहनकर खुद को तैयार होते देखना मुझे दीवाना बना रहा था, और मैं अपनी पेंटी के अन्दर एक सनसनाहट महसूस कर सकती थी जो बढ़ते जा रही थी. मेरी महँगी विक्टोरिया सीक्रेट की सॉफ्ट सुन्दर पेंटी थोड़ी सी गीली हो रही थी. फिर मैंने अपनी एक बैग से विग निकाल कर पहनी, जो अक्सर मैं जिम के लाकर में छुपा कर रखती थी. और फिर मैंने अपने लम्बे बालो को गुंथ कर सर पर एक बड़ा सा जुड़ा बनाया! मुझे जुड़े के साथ औरते सचमुच सेक्सी लगती है… और मैं खुद जुड़ा बनाकर और भी सेक्सी लग रही थी. उफ़… उस सेक्सी फीलिंग के साथ तो मुझे खुद को वहां छूने का मन करने लगा था. मैं पूरी तरह औरत बनकर अब तैयार थी, और कमर मटकाते हुए मैं कमरे में चलने लगी.

पर तभी दरवाज़ा खुलने की आवाज़ आई. और मेरी आँखों के सामने पंकज खड़ा था, वोही पंकज जो सुनैना के साथ काम करता था! “पर वो अन्दर कैसे आया? क्या उसके पास मेरे घर की चाबी है?”, मैं सोच में पड़ गयी. जो अब तक सिर्फ शक था वो यकीन में बदल रहा था कि सुनैना और पंकज के बीच चक्कर है. पर अभी मेरे सर पर एक और चिंता थी, पंकज ने मुझे औरत के रूप में देख लिया था. वो इस बात को लेकर मुझे ब्लैकमेल कर सकता था, और मेरी पत्नी के साथ अपनी रंग रलियाँ आगे भी जारी रख सकता था. मेरी धड़कने तेज़ हो गयी और मैं एक अनजाने डर से कांपने लगी. और साथ ही साथ मेरे अन्दर उस आदमी को देखकर गुस्सा भी बढ़ रहा था जो मेरे ही घर में मेरी पीठ पीछे मेरी पत्नी के साथ सेक्स करता था.

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वो आदमी आगे बढ़ मेरे सामने आया… और मैं डर से सिहर उठी.

जितना आश्चर्य मुझे उसे देख कर हुआ था, शायद उतना ही हैरान वो मुझे साड़ी में देख कर था. मैंने खुद को अपनी साड़ी के आँचल में छुपाने की कोशिश की जैसे कोई भी औरत एक अनजान मर्द के सामने करती. पर उसकी नज़रे मेरे पूरे तन को जैसे चीर कर देख रही थी.  मेरे भरे पुरे जवान औरत के बदन को वो एक टक घूरता रहा. और फिर उसके चेहरे पर एक गन्दी सी मुस्कान आ गयी और वो दरवाज़ा बंद कर मेरी तरफ बढ़ने लगा. मुझे पता न था कि उसके इरादे क्या है और मैं वहां खड़ी खड़ी बस उसे अपने पास आते देखते रह गई. वो धीरे धीरे मेरी ओर बढ़ता चला आया… मेरी धड़कने बेहद तेज़ हो गयी.

उसने मेरे पास आकर मेरी और देखा और बोला, “हेल्लो, मैडम. नाम क्या है इस खुबसूरत औरत का?” उसके चेहरे की मुस्कान देख कर एक अजीब सी चिढ महसूस हुई मुझे. एक तरफ तो मैं गुस्से में भी थी और थोडा डर भी लग रहा था. गुस्सा होते हुए भी मैं उसके सवाल का जवाब एक औरत की तरह देने लगी, “भाभी, प्रतिभा भाभी नाम है मेरा.” ये क्या बोल रही थी मैं उससे? शायद, मैं एक औरत की तरह महसूस करना चाहती थी. और फिर उसने धीरे से मेरे आँचल और मेरे ब्लाउज पर अपनी ऊँगली फेरी और फिर मेरी नाभि के पास चिकोटी काट कर हौले से कहा, “तुम इस साड़ी में कमाल लग रही हो, प्रतिभा भाभी”. और फिर उसने मेरी बांहों को जोर से पकड़ अपने पास खिंच लिए. मैं दर्द से एक नाज़ुक कलि की तरह कराह उठी जैसे कह रही हो, “छोड़ दे मुझे ज़ालिम”. मैं उस वक़्त उसकी इस हरकत से सकते में थी. वो ऐसे पेश आ रहा था जैसे वो मेरा मर्द हो. “कमीना कहीं का.”, मैंने मन ही मन उसकी उद्दंडता को देख सोचा. मेरी बड़ी बड़ी कजरारी आँखों में गुस्सा था जो वो भी देख सकता था.

z1“पता है प्रतिभा भाभी? तुम्हारी सुनैना के साथ बहुत बार … किया है मैंने. पर तुम्हे देख कर लगता है तुम्हे अपनी रानी बनाने में अलग ही मज़ा आएगी. बड़ा ही हॉट फिगर है तुम्हारा.”, उसने मुझसे कहा और अपने हाथो से मेरे होंठो को पकड़ कर मेरी लिपस्टिक को छूने लगा. पता नहीं क्यों उसकी बात और उसका स्पर्श पाकर मुझे अच्छा लग रहा था. कितने करीब आ गया था वो मेरे. वो मेरे सामने मेरी ही बीवी के बारे में ऐसा बोल रहा था, मुझे तो गुस्से से आग बबूला होना चाहिए था. पर क्या सोच रही थी मैं भी. और फिर, एक बार फिर जब उसके और सुनैना के बीच का सम्बन्ध का ख्याल आया तो मेरे हाथ खुद ही उठ कर उसे जोर का तमाचा देने के लिए बढ़ गए. पर वो कितना मजबूत था … मेरे सामने… हाय, असली मर्द था वो भी. उसने तुरंत मेरी कलाई पकड़ कर मेरे हाथ को रोक लिए. मेरे हाथो की कांच की चूड़ियां उस झटके से खनक उठी. वो मुझसे ज्यादा मजबूत था. न जाने क्यों मेरे तन में मुझे आग महसूस हो रही थी. वो मुझ पर हावी था और मैं भी किन खयालो में थी!

“मुझे ऐसी तेज़-तर्रार गुस्से वाली औरतें बेहद पसंद है. उनके अन्दर की आग मुझे दीवाना बना देती है. तेरी जैसी औरतों को उनकी औकात दिखाकर मेरी बनाना मुझे अच्छा लगता है”, उसने मेरी ओर घूरकर देखते हुए मुस्कुरा कर कहा और जोर से मेरी कलाई को निचे की ओर मोड़ दिया. उसकी मर्दानगी के सामने मैं बेहद ही असहाय महसूस कर रही थी. वो मेरे और करीब आ गया, उसका गठीला बदन अब मेरे तन को दबा रहा था. मैं उसके और दीवार के बीच दब गयी थी.. और वो अपने हाथो से मेरे होंठो को ज़बरदस्ती पकड़ रहा था, और फिर वो मेरे होंठो को चूमने लगा.. एक मर्द मुझे चूम रहा था! मैंने उससे दूर होना चाहा पर होती भी कहाँ और कैसे? उसके सामने इतनी नाज़ुक थी मैं. मैंने अपनी आँखें बंद कर ली और वो मुझे ज़बरदस्ती चूमता रहा… मेरे होंठो को चुस्त रहा और मैं एक अबला की भाँती कुछ भी न कर सकी. मैं लगभग बस रोने ही वाली थी कि उसने एक कदम पीछे ले लिए.

उसने के बार फिर मुझे घुर कर गन्दी नजरो से देखा. मैं अब तक उसकी बांहों में कैद थी. “मुझे पता नहीं कि तु मुझसे क्यों नाराज़ है. तेरी पत्नी मेरे पास आई थी .. अपनी हवस मिटाने. मैं नहीं गया था उसके पास. तुम्हे गुस्सा दिखाना है जानेमन तो उस पर दिखा…” उसने कहा. उसको अपने किये पर कोई शर्मिंदगी नहीं थी.

मैंने उसे पलट कर एक बार फिर घुर कर गुस्सैल नज़रो से देखा. मेरी सांस तेज़ थी.. मेरा सीना मेरे स्तन उस सांस के साथ ऊपर निचे हो रहे थे… और अचानक ही मेरे चेहरे पर भी एक कातिल मुस्कान थी. वो सच ही तो कह रहा था. ये किया धरा तो सुनैना का था. तो मैं भला पंकज के साथ ऐसे क्यों पेश आऊँ. मेरे पास एक तरीका था उस औरत से बदला लेने का जो मेरी पत्नी थी. पंकज जैसे मौके मेरे पास बार बार नहीं आयेंगे. और फिर मैंने शरारत भरी नज़रो से पंकज को इशारा किया. वो मुस्कुरा दिया. वो समझ गया था कि मैं क्या चाहती हूँ, और वो भी तो वही चाहता था. उसने मेरी मांसल कमर से मुझे पकड़ कर जोर से अपने करीब खिंच लिया. हाय… कितना मजबूत तन और कितनी मजबूत पकड़ थी उसकी. मेरी तो आंह ही निकल आई. वो मेरे चेहरे के करीब आया और मेरे होंठो को चूमने लगा. मेरे तन में भी आग भड़क रही थी.. अपने ही घर में अपनी पत्नी की साड़ी पहन कर, एक हॉट भाभी की तरह, एक अनजान आदमी की बांहों में थी मैं. जैसे मेरे सालो का सपना पूरा हो रहा था… वो मर्द आ गया था जो मुझे पूरी तरह औरत बनाएगा. और मैं उससे लिपट गयी.

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मैंने उसे अपनी आँखों से इशारा किया. उसे पता था कि उसे आगे क्या करना है!

वैसे तो उसे चूमने में मुझे थोडा संकोच हो रहा था पर कुछ सेकंड बाद, मैं भी उसे मदहोशी में चूमने लगी. वो तो मेरे होंठो का रस पहले ही ले रहा था, अब मैं भी पीछे नहीं थी. और फिर वो अपनी जीभ से मेरे होंठो के अन्दर मुझे फ्रेंच किस करने लगा. मैं अपने होंठो के बीच उसकी जीभ पकड़ कर उसे चूसने लगी… एक मदहोश औरत की तरह बेकाबू होकर. वो मुझे एक औरत की तरह अपनी बांहों में पकड़ कर मुझे नीचे झुकाते हुए मेरी नग्न पीठ पर एक हाथ से छूने लगा. उसे चुमते चुमते मैं बदहवास हो रही थी… एक मर्द की बांहों में पहली बार जो थी. पर अचानक ही उसने चुम्बन को रोककर मुझे थोडा पीछे धकेल दिया.

उस मदहोशी भरे चुम्बन के वक़्त, मेरा जुड़ा खुल गया था और मेरे बाल अब मेरे कंधो के निचे तक गिर कर मेरी नंगी पीठ को चूम रहे थे. उसके ज़बरदस्त चुम्बन का असर था कि मैं अब तक मुंह खोले सांस ही ले रही थी. अब तो जैसे होश ही न था. और मेरे कुछ सोचने के पहले ही उसने अपनी पेंट की ज़िप खोल दी, और अपनी आँखों से उस ओर इशारा किया. मैं जानती थी कि अब मुझे क्या करना है. एक असली औरत की तरह, पहले तो मैंने अपने बालों का जुड़ा बनाया, अपने पल्लू को अपनी कमर पर ठूंसकर, अपनी साड़ी की प्लेट को सामने  पकड़ कर मैं उसकी ओर अपनी कमर मटकाते आगे बढ़ी. मैंने उसकी पेंट में उसको बढ़ते देख सकती थी. मेरी नज़रे वहां से हट ही नहीं रही थी. मेरे चेहरे पर एक शरारती मुस्कान थी. मैंने अपना सर उसके सीने पर रखा और एक हाथ से उसकी पेंट को छूने लगी. वो बहुत बड़ा हो चूका था, और मेरे हाथो के स्पर्श से वो बाहर आने को मचल उठा था. पंकज ने एक आंह भरी और अपने हाथ मेरे कंधो पे रखकर मुझे निचे झुकाने लगा.. अपने लिंग की ओर. मुझे तो जैसे यकीन ही नहीं हो रहा था कि एक अनजान मर्द मेरे ही घर में मुझ पर ज़बरदस्ती कर रहा है.. और मैं जैसे उसकी हर बात मानने वाली औरत की तरह … उसके लिए सब कुछ कर रही हूँ. मुझे शिकायत भी नहीं थी इस बात से!

पर फिर भी… ये आश्चर्यजनक था मेरे लिए… मैं एक नाज़ुक औरत की भांति अपने ही घर में एक मर्द को खुश करने वाली थी. अब तो मैं सोचती थी कि मैं मर्द हूँ… कम से कम अपनी पत्नी के लिए तो मर्द हूँ. आखिर उन हजारो आदमियों के जैसे मैं भी काम पर जाती, घर वापस आती, घर के बिल देती, और कभी कभी अपनी पत्नी के साथ सेक्स करती. हमेशा से लगता था कि मैं एक सामान्य मर्द हूँ… जितना एक पत्नी चाहती है, उतना तो थी मैं. मैं जानती हूँ कि मेरी इस बात पर आपको भरोसा नहीं है, आखिर इस वक़्त अपने घुटनों पर खाड़ी, साड़ी पहनी मैं.. एक दुसरे मर्द को खुश करने वाली हूँ मैं!

पंकज सचमुच मुझसे कहीं ज्यादा मजबूत था.. असली मर्द था वो. मेरी ठरकी पत्नी ने मुझसे ज्यादा बड़ा मर्द ढूंढी थी अपनी प्यास बुझाने के लिए. पर ये मेरे लिए भी अच्छा ही हुआ… मुझे ऐसे ही मर्द की ज़रुरत थी जो मुझे अपनी पैरो की जुती की तरह ट्रीट करे. मैं पूरी तरह पंकज की काबू में थी. वो जैसे मुझ पर हावी हो रहा था जैसे उसका हक़ है मुझ पर, मुझे और हॉट महसूस हो रहा था उसके इस बर्ताव से. उसने मेरी ओर नज़रे झुककर देखा, मेरे चेहरे को छुआ और मेरे स्तनों को निचोड़ा. मैं शर्मा गयी. अब मैं भी उसकी पेंट के अन्दर से उसके लिंग को निकालने को बेताब थी.

मैं ये सब सोच ही रही थी कि उसने मुझसे कहा, “क्या हुआ प्रतिभा भाभी? बड़ा शर्मा रही हो… कभी देखा नहीं है  क्या?” मैंने जैसे ही वो जादुई शब्द सुने “प्रतिभा भाभी”, मैंने उत्तेजित होकर तुरंत उसकी अंडरवियर खोलकर तुरंत उसका लिंग बाहर निकाल ली, उसका ८ इंच का लिंग मेरी आँखों के सामने तन गया. मेरी कलाई जितनी तो उसकी मोटाई थी. यह हुआ न असली मर्द! और फिर मैं धीरे धीरे उसके लिंग को अपने नाज़ुक हाथो से सहलाने लगी. वो आँखें बंद कर मज़े ले रहा था और मैं तेज़ी से उसके लिंग को हिलाने लगी. और उसकी आन्हें बढती गयी.

और फिर उसने अपने हाथो से मेरे सर को पकड़ कर मेरे चेहरे को उसके लिंग के पास ले गया.. मेरे होंठ उसके लिंग के बेहद करीब थे.. मेरे होंठ उसको चूमने और चूसने को बेताब हो रहे थे पर डर भी था कि इतने बड़े लिंग को कैसे लू मुंह के अन्दर.  पर अगले ही पल मैंने उसके लिंग को अपने होंठो में लेकर चुसना शुरू कर दिया. मैं अपनी जीभ से उसे चाटने लगी. और फिर धीरे धीरे कर मैंने उसे पूरा अपने मुंह में ले ली. मैं पहली बार यह कर रही थी पर मुझे अपने किये पर बेहद गर्व था. और फिर पंकज अपने लिंग से मेरे मुंह में और जोर लगाने लगा. वो पहले तो धीरे धीरे अन्दर बाहर कर रहा था पर फिर वो तेज़ हो गया. मेरा गला चोक होने को आया तो मैंने उसकी बट को जोर से दबोच ली. मुझे ऐसा देख वो रुक गया. मैंने सांस लेने के लिए उसके लिंग को मुंह से बाहर निकाला. मेरे मुंह से एक लार टपक कर मेरे मंगलसूत्र पर गिर पड़ी. मैंने फिर अपने मंगलसूत्र को अपनी उँगलियों के बीच घुमाते हुए उसे कामुक नज़रो से देखा.

मैं उसकी नजरो में मेरे बदन के लिए हवस बढती हुई देख सकती थी. मैं उसके हाथ का सहारा लेकर उठने लगी. साड़ी पहन कर उठाना वैसे भी मुश्किल होता और फिर इस पोजीशन से! मैंने खड़ी होकर अपनी साड़ी की प्लेट और पल्लू को ठीक की और उससे पूछा कि उसे कैसा लगा मेरे साथ. और उसने कहा कि उसे बेहद मज़ा आया. मेरी पेंटी तो इस वक़्त मेरे ही रस से थोड़ी गीली हो रही थी. मैंने अपने मर्द के सीने पर हाथ फेर कर देखा, उसके मजबूत सीने पर बहुत सारे बाल थे. मैं उसे महसूस कर रही थी कि उसने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे मेरे बेडरूम की ओर ले गया. मेरे बेडरूम में पहली बार मैं एक मर्द के साथ जा रही थी!

बेडरूम में एक बड़ा आइना था जिसमे मैंने देखा कि मैं कितनी हॉट दिख रही थी. मेरे बाल अब खुले हुए थे और मेरी साड़ी बिलकुल कस कर मेरे बदन से लिपटी हुई थी. पंकज अन्दर आते ही बिस्तर पर लेट गया था. मैं आईने में खुद को गर्व से निहार ही रही थी कि पंकज ने मुझे कहा, “अब आ भी जाओ भाभी जी… और भी बहुत कुछ करना है अभी तो.” मैं बिस्तर के किनारे पे खड़ी होकर उससे बोली,  “अब और क्या करना है देवर जी? क्या जो किया वो काफी नहीं था?” मेरी बातें भी अब नशीली थी.

उसने मुझे अपनी बांहों में पकड़ कर मेरे बेडरूम ले गया. तस्वीरो को बड़ा कर देखने के लिए क्लिक करे.

और फिर उसने कहा, “अभी कहाँ जानेमन. अभी तो तुम्हे पूरी औरत बनाना बाकी है.” मैं तो उसकी बातें सुनते ही शर्मा गयी, और ख़ुशी से रोमांचित हो उठी.  वो मेरे सामने खड़ा था, उसके लिंग के सामने तो मैं एक कामुक औरत बन कर उतावली हो रही थी. यही सोचकर कि आगे और क्या होने वाला है! उसने मुझे फिर इशारा किया कि मैं कंप्यूटर टेबल के सामने झुक जाऊं, और फिर उसने मेरे सैटिन पेटीकोट को पहले उठाया और फिर पेंटी को निचे उतारा. जब वो यह सब कर रहा था मैं तो उत्तेजित होकर आन्हें भरने लगी. मेरी कामुक आवाज़े सुनकर उसने कहा, “भाभी ज़रा इंतज़ार करो.. अभी तो तुम्हारे अन्दर मैं आया भी नहीं हूँ.” मैं तो बस मदहोश हो गयी और उससे बोली, “अब और इंतज़ार न कराओ देवर जी. मैं तुम्हारी प्यासी हो… अब आ भी जाओ मेरे अन्दर.”

और फिर वो मेरे पीछे मेरे नितम्ब से लग गया और एक ही झटके में उसका बड़ा सा लिंग मेरे अन्दर समा गया. हाय… मेरी तो जैसे जान ही निकल गयी… और दर्द और उत्तेजना में मेरी चीख निकल आई. औरत होना इतना आसान भी नहीं है! पर कुछ देर में, उसने धीरे धीरे मेरे अन्दर बाहर होना शुरू किया और फिर तेज़ी से…. मैं तो अब बस मचल उठी थी और उत्तेजना में अपने एक हाथ से ब्लाउज के अन्दर अपने स्तनों को अपनी आँखें बंद कर मसलने लगी. वो बीच बीच में जोर से मेरे अन्दर आता और मेरे मुंह से चीख निकल आती.. फिर भी मुझे बेहद मज़ा आ रहा था. मैं अपनी नितम्ब लहराने लगी उसके एक एक झटके के साथ … मैं उसके लिंग को  पूरी तरह अपने अन्दर ले लेना चाहती थी.

और फिर न जाने कितनी देर बाद, उसने अपने लिंग को मेरे अन्दर से बाहर निकाल लिया. मैंने झूठ मुठ के गुस्से से अपनी आँखें दिखाते हुए उससे बोली कि, “निकालते क्यों हो देवर जी. अभी तुम्हारी भाभी की प्यास बुझी नहीं है.” उसने कहा, “भाभी जी.. अभी और भी पोजीशन ट्राई करनी है… इतनी उतावली मत हो मेरी जान.” उसके कहने के तरीके से तो मैं लजा उठी. मैंने कहा.. ” ओहो.. देवर जी… तो मेरे नटखट देवर अब क्या करने चाहते हो अपनी इस भाभी के साथ? मेरी जान तो अपने लिंग से पहले ही निकाल चुके हो.” उसने आगे कुछ नहीं कहा और फिर बिस्तर पर लेटकर मुझे अपने ऊपर आने का इशारा किया. मैं मादक तरह से चलते हुए उसके ऊपर चढ़ गयी.. और हौले से अपनी साड़ी को अपने हाथ में पकड़ कर. उसने कहा, “भाभी अब बैठ भी जाओ..” तो मैंने कहा, “बैठूंगी नहीं… मैं तो सवारी करूंगी!” मैंने अपनी साड़ी उठायी और फिर अपना पेटीकोट … और उसने … उफ़…  कैसे बताऊँ? वो मेरे ब्लाउज पर से मुझे मसलने लगा और मैं उसकी सवारी करने लगी. मैं खुद को उस वक़्त बिस्तर के सामने लगे बड़े शीशे में देख सकती थी और मुझे यकीन नहीं हुआ जो मैं देख रही थी… बिलकुल एक मिडिल ऐज भाभी की तरह दिख रही थी मैं! और फिर उसने मेरे चेहरे को अपने पास खिंच लिया और मेरी गर्दन के आसपास जोरो से चूमने लगा… मेरे ब्लाउज पर से दीखते हुए मेरे मांसल स्तनों को वो अपने दांतों से कांटने लगा. मैं बिना रुके ऊपर निचे होते हुए इन सबका मज़ा ले रही थी…. कि तभी कमरे का दरवाज़ा खुला और मेरी आँखों के सामने, मेरी पत्नी सुनैना थी!

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उस रात मेरा खुद पर काबू न रहा. उस रात मैं एक भाभी थी जिसे एक मर्द की ज़रुरत थी.!

मैं खुद पर विश्वास नहीं कर सकी, मैं रुकना चाहती थी पर खुद को रोक नहीं सकी… सुनैना को सामने देखते हुए भी मैं और पंकज लगे रहे. तभी मेरी पत्नी ने कहा, “पंकज… कैसी लगी यह तुमको?” उसकी आवाज़ सुनते ही पंकज ने मुझे बिस्तर के एक ओर फेंक दिया, और मेरे चेहरे पर सहसा ही शर्मिंदगी छा गयी. सुनैना फिर बिस्तर पर चढ़ गयी और पंकज के लिंग को तुरंत अपने हाथो पर लेते हुए बोली, “सच बताना पंकज… क्या यह मुझसे भी अच्छी है?” उसने अपनी आँखों से पंकज को इशारा किया. मुझे यकीन नहीं हुआ कि यह सब सुनैना और पंकज की सोची समझी चाल थी! मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं. मुझे अब तक लग रहा था कि मैं सुनैना से बदला ले रही हूँ पर यहाँ तो माजरा ही अलग था. क्या सोच रही थी मैं? मुझे लगा जैसे मेरे साथ धोखा हुआ है, शायद सुनैना भी वही सोच रही हो? आखिर मैं उसी की साड़ी, मेकअप, गहने पहन कर एक भाभी बनकर किसी और के साथ सम्भोग कर रही थी!

पर फिर वो हँसने लगी, और पंकज भी उसके साथ हँसने लगा. मैं एक बेआबरू औरत की तरह महसूस कर रही थी. मेरी ही पत्नी मेरी आँखों के सामने किसी और मर्द के लिंग को छू रही थी. पर न जाने क्या था, इतनी शर्मिंदगी के बाद भी जैसे मैं “turn on” हो रही थी. मैं बिस्तर से उठ कर दूर जाने लगी… क्योंकि मेरी साड़ी पूरी तरह बिखर गयी थी, मैं उसे संभालने लगी. मैंने साड़ी से अपने सीने को छुपाने लगी क्योंकि मैं अपने स्तनों पर पंकज के चुम्बन के निशाँ सुनैना से छुपाना चाहती थी. मुझे साड़ी सँभालते देख सुनैना बोली, “देखो साली को… इतनी ज़िल्लत उठाने के बाद भी कैसे साड़ी में अपनी इज्ज़त बचाने की कोशिश कर रही है …. मेरा मतलब अपनी पत्नी की साड़ी में!” वो एक बार फिर हँसने लगी. उसके हाथ में अब भी पंकज का लिंग था, वही लिंग जिस पर कुछ देर पहले मैं सवार थी. और बिना देर किये, सुनैना ने उस लिंग को अपने होंठो के बीच ले लिया… और फिर उसे चूसने लगी. मैं शायद उस वक़्त रो देती पर न जाने क्यों मैंने देखा कि मेरे पेटीकोट के अन्दर हलचल हो रही थी. अपनी पत्नी को किसी और मर्द के साथ देख कर मैं उत्तेजित क्यों हो रही थी? वो अपनी नीली सैटिन की मिनी ड्रेस में चुस्ती रही और उसकी मोटी सेक्सी बांहे और उसकी जांघें उसके हर स्ट्रोक के साथ हिलने लगती. हील पहनी सुनैना सेक्सी लग रही थी. और फिर उसने अपना एक हाथ उठाकर मुझे इशारा कर अपने पास बुलाई कि मैं भी वहीँ करू जो वो कर रही थी! और मैं भी बिना झिझक अपनी पत्नी के बॉयफ्रेंड के लिंग को चुसना शुरू हो गयी. सुनैना मुझे ही ज्यादा मौका दे रही थी, वो कह रही थी कि मुझे इसकी ज्यादा ज़रुरत है क्योंकि सुनैना तो न जाने कब से पंकज के साथ यह सब करती आ रही थी.

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पंकज ने मुझे एक ओर फेंक दिया. मेरी साड़ी बिखर गयी थी और शर्मिंदगी मेरे चेहरे पर आ गयी थी.

मेरे लिए तो यह एक सच होते सपने की तरह था. पंकज को तो बेहद मज़ा आ रहा था. उसने फिर सुनैना को मेरे पेटीकोट से निकलते उभार की तरफ इशारा किया…. अब वो उभार मेरी साड़ी की प्लेट से भी दिख पड़ रहा था.. “देखो तो साली को… ये भी एक्साइट हो गयी है” मेरी पत्नी हँस पड़ी. तो पंकज ने उससे कहा, “सुनैना तुम भी उसे थोडा सुख दे दो… ” पर सुनैना ने मन करते हुए कहा, “इतने छोटे से लिंग को मैं हाथ नहीं लगाऊँगी.” सुनैना को मेरी इन्सल्ट करने की क्या ज़रुरत थी… पंकज जितना न सही मेरा लिंग इतना छोटा भी न था. पर पंकज न सुनने वाले आदमियों में से नहीं था. और उसने सुनैना को एक तमाचा जड़ दिया और कहा, “तुम दोनों मेरी औरत हो… और मैं जो बोलूँगा.. वही करोगी. समझी?” और उस तमाचे से भौचक्क सुनैना चुप चाप मेरे लिंग को सहलाने लगी. पंकज ने मुझे जोर से अपनी बांहों में खिंच लिया और मेरे होंठो को बेहद जोरो से चूमने लगा. मेरे मुंह से आंह निकल आई आखिर उसने मुझे नाज़ुक औरत को इतनी जोर से खिंचा था अपनी बांहों में. पर मैं बहुत खुश थी, मेरा मन गर्व से भर गया  क्योंकि पंकज ने मेरी पत्नी को छोड़ मुझे अपनी बांहों में लिया था. हम दोनों औरतें एक ही मर्द के लिए उतावली थी, और मैं जीत गयी थी. मैं सुनैना से एक बार फिर बदला लेने को तैयार थी.

कुछ देर बाद, पंकज ने सुनैना को अपना लिंग चूसने को कहा. सुनैना तो जैसे उतावली होकर इंतज़ार ही कर रही थी. सुनैना को इस तरह पंकज के पैरो की दासी बनी देख कर मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था. फिर दोनों ने मेरी ओर देखा और सुनैना ने मुझसे घुटनों पर बिस्तर पे खड़े होने को कहा और अपनी योनी मेरे चेहरे के सामने ले आई. और पंकज मेरे पीछे से मेरे अन्दर प्रवेश करने लगा. मैं दर्द से कराह उठी, पर मेरी उत्तेजना चरम पर थी. खुद को कमरे के उस बड़े से आईने में ऐसी अवस्था में देख मुझे थोड़ी लज्जा भी आई.

और फिर सुनैना मुझे गालियाँ देने लगी, “तुझे औरत बनना है न? आज तुझे रंडी बनायेंगे… आज से मेरे हर बॉयफ्रेंड तुझे ऐसी ही ….” मैंने सुनैना को कभी ऐसे बातें करते नहीं सुना था पर मुझे तो बेहद मज़ा आ रहा था. और फिर पंकज तेज़ी से मेरे अन्दर झटके देने लगा और फिर उसने कहा, “बस अब मैं ख़त्म होने वाला हूँ.” मेरी उत्तेजना भी अब चरम पर थी, “मुझे आज औरत बना दो पंकज. बहा दो धार मेरे अन्दर… अपनी भाभी को सुख दे दो आज पंकज.”, मैंने चीख उठी.

सुनैना ने भी जोश में कहा, “आज इसे औरत बना ही दो पंकज… मत छोड़ना साली को… दिखा दो इसको कि असली मर्द अपनी औरत के साथ क्या क्या कर सकता है.” सुनैना की बात सुनकर मैं और उत्तेजित होकर अपनी कमर लहराने लगी. और आखिर में पंकज ने जोर से मेरी मांसल कमर को जोर से पकड़ कर एक आखिरी स्ट्रोक दिया. और उस पल अचानक से शान्ति छा गयी… एक अद्भुत सुख महसूस कर रही थी मैं… मैं अब एक औरत बन चुकी थी.

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बाथरूम के फर्श पर थकी हुई मैं लेटी रही.

मेरी पत्नी ने मेरे संतुष्ट चेहरे को देखा और पकड़ कर बोली, “देखो तो पंकज इसको. तुम्हारी औरत बनकर कितनी खुश है. आज से इसको हमेशा औरत की तरह ही ट्रीट करेंगे हम.” और फिर वो मेरे लिपस्टिक लगे होंठो को चूमकर बोली, “आज से तू और मैं लेस्बियन पार्टनर है… और आगे भी अपने बॉयफ्रेंड से मिलूंगी मैं तुझे.” और फिर उसने मुझसे बाथरूम जाकर अपनी साड़ी साफ़ करने को कहा. उस रात मैंने अपने बारे में कुछ नया जाना था… वो बात जो मैं जानती तो थी पर पूरी ज़िन्दगी उसे नकारती रही थी. मैं एक औरत के रूप में डोमिनेट होना चाहती थी, एक आदमी और एक औरत दोनों से. अपने भाग्य पर हँसते हुए मैं बाथरूम के फर्श पर थक कर लेट गयी थी और मेरे पीछे दरवाज़ा बंद हो चूका था. और मैं जब सो कर उठी… वो एक अलग ही कहानी है!

मैं आज भी वो रात भुला नहीं सकी हूँ. वो रात जब मैं एक पूरी औरत बन गई थी.!

इस कहानी की लेखिका है प्रतिभा मेहरा. प्रतिभा ने पहले भी एक कहानी लिखी थी जिसका नाम था…  ‘A night to remember‘. वो कहानी हमारी वेबसाइट की सबसे पहली हिट कहानी थी. यदि आपको कहानी पसंद आई हो तो अपनी रेटिंग देना न भूले! कमेंट में अपने विचार ज़रूर  दे! और यदि आप प्रतिभा द्वारा लिखी और भी कहानियाँ पढना चाहती है तो हमें ज़रूर बताये!

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Author: ICN Team

The team of writers working to bring a positive change in the Indian Crossdressing World.

50 thoughts on “प्रतिभा: एक अजनबी से मुलाकात”

  1. Me apni bhaiya bhabhi ke sath rahta hoo.bhai ke tour e Jane per bhabhi Anna salwar suit pahnati hai mere Hatho me chorea pahnaty hai aur share gahne pahnaty hai rat ko khoob masalty hain aur sex bhai karty hai.

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    1. मर्दों की कमी थोड़े है । मेरी मर्दानगी देखनी होतो मैं तैयार हूँ। कहाँ मिलना है ?

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  2. mai ek dancer hoon to ye to mere saath hona koi nayee baat nahi hai mai to rojj hi saaree blouse aone man se pahn leti hoon din me bhi kabhi kabhar lekin raat me to roj hi pahnti hoon bina iske man hi nahi maanta aisa feeling hota hai na ki kya kahoon koi shabd nahi hai

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    1. मुझे भी क्रासड्रैसिंग का बहुत शौक है । जब भी मौका मिलता है वाइफ की ब्रा और पेटीकोट पहन लेता हूँ। साड़ी पहनने की इच्छा होती है ।लेकिन पहननी नहीं आती। काश मैं भी किसी की पत्नी होता और मेरा पति मुझे शारीरिक सुख देता ।

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      1. कोई मेरा पति बनना चाहे तो अपना कांटैक्ट नंबर दे।

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      2. सलवार सूट पहन लो । गाउन पहन लो । चुदवाने के लिए तो निकालना ही पड़ेगा।

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    2. मैं तुम्हारा पति बन सकता हूँ। मेरी पत्नी बन कर अपने सारे अरमान पूरे कर लेना।

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      1. Will wait eagerly. When is the 12th chapter of Sanju coming out. I will love it if it comes during this lock down. I can read it in peace and enjoy….otherwise the time is short in regular days and I can not fully enjoy….same with WOH 2.5 SAAL. Please post their next parts during lock down…….luv, hugs and kisses…..Kajal

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